The UP Files, Uttar Pradesh Explored Movie
फ़िल्म का विवरण
नाम: द यू.पी. फाइल्स (The UP Files)
रिलीज़: 2024 (26 जुलाई 2024)
निर्देशक: नीरज सहाय (Neeraj Sahai)
मुख्य कलाकार:
मनोज जोशी (मुख्यमंत्री अभय सिंह)
मंजरी फड़नीस (इंस्पेक्टर सुजाता मेनन)
मिलिंद गुणाजी (शादाब)
अशोक समर्थ (अनीस खान)
अनिल जॉर्ज (अब्दुल्ला)
अली असगर (उमाशंकर)
अमन वर्मा (सुजाता मेनन का पति)
शाहबाज़ खान (डीजीपी अजित सिंह)
आधार: यह फ़िल्म उत्तर प्रदेश में घटी "सच्ची घटनाओं" पर आधारित एक पॉलिटिकल ड्रामा है, जो विशेष रूप से 2017 से पहले और बाद के बदलावों पर केंद्रित है।
फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह फिल्म एक पारंपरिक कहानी के बजाय, उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और आपराधिक स्थिति को दर्शाने वाली कई घटनाओं (फाइल्स) का एक संग्रह है।
भाग 1: 'गुंडाराज' और 'बीमारू प्रदेश'
फ़िल्म की शुरुआत उत्तर प्रदेश की एक अंधकारमय तस्वीर के साथ होती है (2017 से पहले के समय को दर्शाते हुए)।
राज्य में "गुंडाराज" चरम पर है। इसे तीन मुख्य माफिया डॉन चलाते हैं - अब्दुल्ला (अनिल जॉर्ज), अनीस खान (अशोक समर्थ) और शादाब (मिलिंद गुणाजी)।
ये माफिया भू-माफिया (land mafia), अवैध खनन और रंगदारी का रैकेट चलाते हैं। आम जनता और व्यापारी इनके आतंक से त्रस्त हैं।
पुलिस और प्रशासन में भी भारी भ्रष्टाचार है। ईमानदार अधिकारियों को या तो मार दिया जाता है या उनका तबादला कर दिया जाता है।
भाग 2: अभय सिंह का आगमन
राज्य की इस बिगड़ती हालत के बीच, पार्टी हाईकमान अभय सिंह (मनोज जोशी) को उत्तर प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करता है। अभय सिंह (जो स्पष्ट रूप से योगी आदित्यनाथ पर आधारित हैं) एक दृढ़ निश्चयी और ईमानदार नेता हैं।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही, अभय सिंह की पहली प्राथमिकता राज्य से अपराध और भ्रष्टाचार को खत्म करना और "राम राज" स्थापित करना होती है।
भाग 3: 'फाइल्स' का खुलना और एक्शन
अभय सिंह एक-एक करके पुरानी 'फाइल्स' खोलना शुरू करते हैं।
बुलडोज़र एक्शन: वह माफियाओं द्वारा अवैध रूप से कब्जा की गई ज़मीनों पर बुलडोज़र चलाने का आदेश देते हैं। इससे माफिया सरगनाओं में हड़कंप मच जाता है।
प्रशासनिक सुधार: वह भ्रष्ट नौकरशाहों (bureaucrats) और पुलिस अधिकारियों पर नकेल कसते हैं। उन्हें ग्रामीण इलाकों में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
पुलिस का संघर्ष: इसी बीच, एक ईमानदार पुलिस अधिकारी, इंस्पेक्टर सुजाता मेनन (मंजरी फड़नीस), माफिया के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने की कोशिश करती है, लेकिन उसे अपने ही विभाग के भ्रष्ट साथियों से विरोध का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री अभय सिंह ऐसे ईमानदार अधिकारियों का समर्थन करते हैं।
कानूनी सुधार: फिल्म में "एक देश, एक कानून" (One Country, One Law) की वकालत की जाती है और महिला कल्याण के मुद्दों को भी उठाया जाता है।
भाग 4: क्लाइमेक्स और 'नया यू.पी.'
फिल्म का क्लाइमेक्स इन माफिया सरगनाओं के पतन को दिखाता है।
अभय सिंह के "नो डिस्कशन, ओनली एक्शन" (No Discussion, Only Action) वाले दृष्टिकोण के कारण, माफिया या तो मारे जाते हैं, या जेल चले जाते हैं या राज्य छोड़कर भागने पर मजबूर हो जाते हैं।
ईमानदार अधिकारियों जैसे सुजाता मेनन को व्यवस्था में न्याय मिलता है।
अंत (Ending):
फिल्म का अंत उत्तर प्रदेश के "परिवर्तन" (transformation) को दिखाकर होता है। यह दिखाया जाता है कि कैसे अभय सिंह के शासन में राज्य "गुंडाराज" और "बीमारू प्रदेश" की छवि से निकलकर एक "विकसित" और "राम राज प्रदेश" बन जाता है।

Jai hind
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