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Chhava Marathi-Hindi Blockbuster Movie

18 Bekeken • 02 November 2025
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Rohit Choudhary
Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: छावा (Chhaava)
रिलीज़: 2025
निर्देशक: लक्ष्मण उतेकर
मुख्य कलाकार:
विक्की कौशल (छत्रपति संभाजी महाराज)
रश्मिका मंदाना (येसुबाई भोसले, संभाजी की पत्नी)
अक्षय खन्ना (मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब)
आधार: यह फ़िल्म शिवाजी सावंत के प्रसिद्ध मराठी उपन्यास 'छावा' पर आधारित है।

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और वीरतापू्र्ण अध्यायों को दिखाती है।
भाग 1: 'छावा' का बचपन और प्रशिक्षण
फ़िल्म की शुरुआत संभाजी (विक्की कौशल) के बचपन से होती है। वह कम उम्र में ही अपनी माँ, सईबाई को खो देते हैं। उनका पालन-पोषण उनकी दादी, जीजाबाई द्वारा किया जाता है।
उनके पिता, छत्रपति शिवाजी महाराज, उन्हें एक भावी राजा के रूप में तैयार करते हैं। संभाजी को 9 साल की छोटी उम्र में ही राजनीतिक समझ के लिए मुग़ल दरबार में 'मनसबदार' के तौर पर रहना पड़ता है।
वह अपने पिता के साथ आगरा में औरंगज़ेब की कैद से भागने की प्रसिद्ध घटना में भी शामिल होते हैं।
भाग 2: राज्याभिषेक और चुनौतियाँ
शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद, मराठा दरबार में साज़िशें शुरू हो जाती हैं। संभाजी की सौतेली माँ, सोयराबाई, अपने बेटे राजाराम को गद्दी पर बिठाना चाहती हैं।
संभाजी को अपनी ही सौतेली माँ और दरबारियों के खिलाफ लड़कर सिंहासन हासिल करना पड़ता है।
सिंहासन पर बैठने के बाद, वह अपनी पत्नी येसुबाई (रश्मिका मंदाना) के अटूट समर्थन से राज-काज संभालते हैं। येसुबाई एक बुद्धिमान और मजबूत रानी के रूप में उनकी सबसे बड़ी ताकत बनती हैं।
भाग 3: औरंगज़ेब से महा-संग्राम
संभाजी महाराज के शासन का सबसे बड़ा हिस्सा मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब (अक्षय खन्ना) के खिलाफ 9 साल तक चले युद्ध पर केंद्रित है।
औरंगज़ेब, जो पूरे दक्षिण भारत को जीतने का सपना लेकर आया था, अपनी पूरी ताकत मराठा साम्राज्य को कुचलने में लगा देता है।
फ़िल्म में संभाजी की गुरिल्ला युद्धनीति, उनकी बहादुरी और कैसे उन्होंने एक साथ मुग़लों, पुर्तगालियों (गोवा में) और जंजिरा के सिद्दी को हराया, यह दिखाया गया है।
वह एक भी लड़ाई नहीं हारते, जिससे औरंगज़ेब हताश हो जाता है।
भाग 4: विश्वासघात और कैद (क्लाइमेक्स)
जब औरंगज़ेब संभाजी को युद्ध में नहीं हरा पाता, तो वह धोखे का सहारा लेता है।
संभाजी के अपने ही एक रिश्तेदार, गणोजी शिर्के (जो संभाजी से नाराज था), मुग़लों से मिल जाता है।
शिर्के की गद्दारी के कारण, मुग़ल सेनापति मुकर्रब खान, संभाजी महाराज को संगमेश्वर में धोखे से पकड़ लेता है, जब वे अपने सबसे करीबी दोस्त कवि कलश के साथ होते हैं।
भाग 5: बलिदान (अंत)
संभाजी महाराज और कवि कलश को ज़ंजीरों में जकड़कर औरंगज़ेब के सामने पेश किया जाता है।
औरंगज़ेब उनके सामने तीन शर्तें रखता है:
इस्लाम कबूल कर लो।
सारे मराठा किलों की चाबियाँ दे दो।
छिपा हुआ खज़ाना बता दो।
संभाजी महाराज, औरंगज़ेब की आँखों में आँखें डालकर उसकी हर शर्त को ठुकरा देते हैं और अपने धर्म (हिंदवी स्वराज्य) के प्रति अपनी निष्ठा दोहराते हैं।
क्रोधित और अपमानित होकर, औरंगज़ेब उन्हें 40 दिनों तक भयंकर यातनाएं देने का आदेश देता है। उनकी आँखें निकाली जाती हैं, उनकी जीभ काटी जाती है, और अंत में उनकी बेरहमी से हत्या कर दी जाती है।
अंत (Ending):
फ़िल्म का अंत संभाजी महाराज के बलिदान के साथ होता है। यह दिखाया जाता है कि उनकी क्रूर हत्या ने मरे हुए मराठा साम्राज्य में एक नई जान फूंक दी और औरंगज़ेब का दक्कन (दक्षिण भारत) जीतने का सपना हमेशा के लिए टूट गया। संभाजी महाराज, 'धर्मवीर' के रूप में अमर हो गए।

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1 Comments sort Sorteer op
Nidhi Sahu
Nidhi Sahu
7 uur geleden

awesome movie

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