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झाड़ू की आवाज़ और माता लक्ष्मी का संकेत माता लक्ष्मी ने बताया रोज घर में झाड़ू लगाने वाली औरतें कौन

8 Pogledi· 15 Prosinac 2025
Mr Wal
Mr Wal
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⁣माता लक्ष्मी ने बताया रोज घर में झाड़ू लगाने वाली औरतें कौन सा पाप करती हैं
⁣कहानी: “झाड़ू की आवाज़ और माता लक्ष्मी का संकेत”
गाँव के आख़िरी छोर पर एक टूटा-सा घर था।

मिट्टी की दीवारें, टपकती छत और आँगन में बिखरी उदासी।

इसी घर में रहती थी सीता — एक ऐसी स्त्री,

जिसके जीवन में सुबह से रात तक सिर्फ़ मेहनत थी… और बदले में सिर्फ़ दर्द।
हर सुबह सूरज निकलने से पहले,

सीता झाड़ू उठाती और घर साफ़ करने लगती।

उसके हाथों में छाले थे,

पर पेट की आग उससे ज़्यादा जलती थी।
उसका पति बीमार रहता,

कमाई नाम की कोई चीज़ नहीं थी।

गाँव वाले कहते —

“इस घर में तो माता लक्ष्मी का साया भी नहीं आता।”
एक दिन का मोड़
एक सुबह, जब सीता झाड़ू लगा रही थी,

दरवाज़े पर एक साधु बाबा आकर खड़े हो गए।

गेरुआ वस्त्र, शांत आँखें…

पर नज़र ऐसी जैसे सब जानती हों।
बाबा ने झाड़ू की आवाज़ सुनी…

और अचानक बोले —

“बेटी…

तू रोज़ अनजाने में एक पाप कर रही है।”

सीता डर गई।

काँपती आवाज़ में बोली —

“बाबा, मैंने क्या अपराध किया?”
बाबा ने आँगन की ओर देखा और कहा —

“माता लक्ष्मी सफ़ाई से नहीं,

समय और श्रद्धा से प्रसन्न होती हैं।”

माता लक्ष्मी का रहस्य
बाबा बोले —

“सुबह सूर्योदय से पहले

और संध्या के समय

झाड़ू लगाना शास्त्रों में वर्जित माना गया है।
इस समय माता लक्ष्मी

घर में प्रवेश या विश्राम करती हैं।
झाड़ू की आवाज़

अनजाने में उनका अपमान बन जाती है।”

सीता की आँखों से आँसू बहने लगे।

वह बोली —

“बाबा, मैं तो बस घर साफ़ करना चाहती थी…

पाप करने का इरादा कभी नहीं था।”
बाबा ने करुणा से कहा —

“पाप इरादे से नहीं,

अज्ञान से होता है बेटी।”

भविष्यवाणी
बाबा ने जाते-जाते कहा —

“आज से

सूरज निकलने के बाद ही झाड़ू लगाना,

संध्या के बाद कभी नहीं।
झाड़ू को कभी लांघना मत,

और कूड़ा रात भर घर में मत रखना।
देखना…

जिस दिन श्रद्धा जागेगी,

उसी दिन किस्मत भी बदलेगी।”

चमत्कार नहीं… परिवर्तन
सीता ने बाबा की बात मानी।

दिन बदले…

धीरे-धीरे हालात भी।
पति की तबीयत सुधरने लगी।

काम मिलने लगा।

घर में भले धन ना आया हो,

पर शांति और उम्मीद लौट आई।
एक रात,

सीता ने सपना देखा —

घर के आँगन में उजाला फैल रहा है

और एक मधुर आवाज़ कह रही है —

“श्रद्धा जहाँ होती है,

मैं वहीं निवास करती हूँ।”

सीता समझ गई…

माता लक्ष्मी कभी दूर नहीं थीं।

गलती बस समझ की थी।

कहानी का संदेश (वीडियो एंडिंग के लिए)

“गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप नहीं,

अज्ञान सबसे बड़ा दुख है।
जब ज्ञान आता है,

तो माता लक्ष्मी अपने आप रास्ता ढूँढ लेती हैं।”

🙏 जय माता लक्ष्मी 🙏

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Hemi Sharma
Hemi Sharma 11 sati prije

very nice

2    0 Odgovor
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