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Mangalavaaram South Hit Movie

6 vistas· 05 Noviembre 2025
Rohit Choudhary
Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: मंगलवारम (Mangalavaaram)
रिलीज़: 2023 (17 नवंबर 2023)
निर्देशक: अजय भूपति (Ajay Bhupathi)
मुख्य कलाकार:
पायल राजपूत (शैलजा / शैलू)
नंदिता श्वेता (डॉ. माया, एसआई)
अजमल अमीर (प्रకాశम बाबू, ज़मींदार)
चैतन्य कृष्णा (मदन, ज़मींदार का गुर्गा)
अजय घोष (कासी राजू, गाँव का मुखिया)
रवींद्र विजय (RMP डॉक्टर)
आधार: यह एक ओरिजिनल मिस्ट्री-हॉरर-थ्रिलर फिल्म है, जो एक गांव, अंधविश्वास और एक दुर्लभ मेडिकल कंडीशन (Nymphomania/Hypersexuality) पर आधारित है।

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी एक गाँव में हर मंगलवार को हो रही रहस्यमयी मौतों के इर्द-गिर्द घूमती है।
भाग 1: गाँव का अभिशाप
कहानी 1980-90 के दशक के एक छोटे से गाँव 'महा लक्ष्मी पुरम' में शुरू होती है। गाँव में हर मंगलवार को रहस्यमयी मौतें हो रही हैं। ये मौतें अक्सर उन लोगों की होती हैं जिनके नाजायज़ संबंध (illicit affairs) होते हैं।
गाँव वालों का मानना है कि उनकी देवी 'अम्मावरु' नाराज़ हैं और पापियों को दंड दे रही हैं। इस डर से वे हर मंगलवार को दोपहर 12 बजे से पहले ही अपने घरों में बंद हो जाते हैं और गाँव में अघोषित कर्फ्यू लग जाता है।
भाग 2: शैलू का रहस्य
फिल्म का केंद्र शैलजा उर्फ शैलू (पायल राजपूत) है, जो बचपन में मंदिर की सीढ़ियों पर मिली थी। शैलू एक दुर्लभ मेडिकल कंडीशन (हाइपरसेक्सुअलिटी) से पीड़ित है, जिसके कारण उसे तीव्र और बेकाबू यौन इच्छाएं (sexual urges) होती हैं।
अपनी इस स्थिति के कारण, वह छिपकर गाँव के कई मर्दों से संबंध बनाती है, जिसमें गाँव का ज़मींदार प्रకాశम बाबू (अजमल अमीर) भी शामिल है। गाँव के RMP डॉक्टर को उसकी इस बिमारी के बारे में पता होता है।
भाग 3: पुलिस की जांच
इन लगातार हो रही मौतों की जाँच के लिए, एक नई और सख्त पुलिस अधिकारी, एसआई माया (नंदिता श्वेता) को गाँव भेजा जाता है।
माया को अंधविश्वास पर यकीन नहीं है; उसे लगता है कि यह किसी सीरियल किलर का काम है। उसकी जाँच ज़मींदार, उसके गुर्गे मदन और शैलू के इर्द-गिर्द घूमती है। उसे पता चलता है कि मरने वाले सभी लोगों का शैलू से कोई न कोई संबंध था।
भाग 4: बड़ा ट्विस्ट (हत्या नहीं, आत्महत्या)
जाँच में एक बड़ा मोड़ आता है जब पता चलता है कि ये हत्याएं नहीं, बल्कि आत्महत्याएं हैं।
शैलू के साथ संबंध बनाने वाले शादीशुदा मर्द, पकड़े जाने के डर से और इस अंधविश्वास के कारण कि देवी उन्हें दंड देगी (क्योंकि उनके नाजायज़ संबंध का राज़ गाँव के मंदिर की दीवारों पर लिख दिया जाता था), शर्मिंदगी में आत्महत्या कर लेते हैं।
और यह राज़ मंदिर की दीवारों पर कोई और नहीं, बल्कि खुद शैलू का बचपन का दोस्त और प्रेमी (जो अब RMP डॉक्टर है) लिखता था, क्योंकि वह शैलू की बिमारी से तंग आ गया था और उससे बदला लेना चाहता था।
भाग 5: शैलू का अंत (क्लाइमेक्स)
क्लाइमेक्स में, ज़मींदार और गाँव के मुखिया (कासी राजू) को यह सच्चाई पता चल जाती है। वे इसे "देवी का श्राप" नहीं, बल्कि शैलू की "बदचलनी" मानते हैं।
गाँव वालों को जब शैलू की बिमारी और उसके संबंधों की सच्चाई पता चलती है, तो वे उसे "पापी" और "चुड़ैल" मानकर, उसे मारने के लिए दौड़ाते हैं। पुलिस (माया) उसे बचाने की कोशिश करती है, लेकिन अंधविश्वासी भीड़ के आगे विफल हो जाती है।
सबसे ठुकराई और टूटी हुई शैलू, अंत में उसी मंदिर में खुद को फांसी लगा लेती है, जहाँ वह पाई गई थी। गाँव वाले इसे "देवी का न्याय" मान लेते हैं, जबकि पुलिस अधिकारी (माया) जानती है कि यह अंधविश्वास और समाज द्वारा की गई एक हत्या थी।

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