Ek Deewane Ki Deewaniyat Hit Love Story
फ़िल्म का विवरण
नाम: एक दीवाने की दीवानियत
रिलीज़: 21 अक्टूबर 2025
शैली (Genre): रोमांटिक ड्रामा, इंटेंस लव स्टोरी
निर्देशक: मिलाप ज़वेरी
मुख्य कलाकार:
हर्षवर्धन राणे (विक्रमादित्य भोंसले)
सोनम बाजवा (अदा रंधावा)
सचिन खेडेकर (गणपतराव भोंसले, विक्रम के पिता)
फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी एक अमीर, ताकतवर और जुनूनी राजनेता के बेटे की है, जिसे एक बॉलीवुड एक्ट्रेस से एकतरफा प्यार हो जाता है।
भाग 1: विक्रमादित्य और उसका जुनून
विक्रमादित्य भोंसले (हर्षवर्धन राणे) एक बेहद अमीर और दबंग राजनेता (सचिन खेडेकर) का बेटा है। वह मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार है और उसे अपनी ताकत और सत्ता का बहुत घमंड है। उसे बचपन से सिखाया गया है कि वह जो चाहे, उसे "किसी भी कीमत पर" हासिल कर सकता है।
उसकी नज़र बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस अदा रंधावा (सोनम बाजवा) पर पड़ती है और उसे पहली नज़र में ही अदा से प्यार हो जाता है। यह प्यार जल्द ही एक खतरनाक जुनून (Obsession) में बदल जाता है।
भाग 2: प्यार या ज़िद?
विक्रम, अदा को पाने के लिए हर तरीका आज़माता है। वह उसे महंगे तोहफे देता है, उसकी फ़िल्मों को फाइनेंस करता है और उसे अपनी ताकत से प्रभावित करने की कोशिश करता है। लेकिन अदा एक आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी लड़की है, जिसे विक्रम का यह अहंकारी रवैया बिल्कुल पसंद नहीं आता। वह विक्रम के प्यार को ठुकरा देती है।
"न" सुनने का आदी नहीं, विक्रम इस इनकार को अपनी बेइज़्ज़ती समझता है। वह अदा को धमकी देता है कि वह उसका करियर बर्बाद कर देगा और उसे मजबूर कर देगा। वह अदा को पाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद, सब कुछ इस्तेमाल करता है।
भाग 3: टकराव और नफरत
विक्रम की हरकतें अदा की ज़िंदगी को मुश्किल बना देती हैं, लेकिन अदा उसके सामने झुकने से इनकार कर देती है। वह विक्रम के खिलाफ खुलकर खड़ी हो जाती है और उसे उसकी हद याद दिलाती है। यह टकराव प्यार से ज़्यादा नफरत और ज़िद की लड़ाई बन जाता है।
विक्रम का पिता (सचिन खेडेकर) उसे समझाता है कि अगर वह अदा को हासिल नहीं कर सकता, तो उसे बर्बाद कर दे। एक सीन में, विक्रम के पिता अदा को किडनैप करवा लेते हैं और विक्रम से कहते हैं कि वह अदा का बलात्कार करे, लेकिन विक्रम ऐसा करने से मना कर देता है और कहता है कि वह विलेन नहीं है, और अदा को खुद घर छोड़ आता है।
भाग 4: क्लाइमेक्स (अंत)
अदा, विक्रम के जुनून और उत्पीड़न से तंग आकर एक चौंकाने वाला कदम उठाती है। वह ऐलान करती है कि "जो कोई भी विक्रमादित्य को मारेगा, वह उसके साथ एक रात बिताएगी।" वह असल में विक्रम के सिर पर एक इनाम रख देती है।
विक्रम, अदा की इस बात से टूट जाता है। उसे एहसास होता है कि उसका प्यार कितना ज़हरीला (toxic) हो गया है। वह खुद किसी को पैसे देकर खुद को गोली मरवा लेता है (यह एक जानलेवा हमला नहीं होता)।
अंत में, विक्रम को अपनी गलती का एहसास होता है। वह अदा की ज़िंदगी से दूर चला जाता है, लेकिन अदा पर दूर से नज़र रखता है। फ़िल्म के आखिरी सीन में, यह दिखाया जाता है कि विक्रम की मौत हो जाती है, और उसकी मौत के बाद अदा को उसके सच्चे (लेकिन पागलपन भरे) प्यार का एहसास होता है। वह उस अंगूठी को पहन लेती है जो विक्रम ने उसे दी थी, यह दिखाते हुए कि नफरत के बावजूद, वह आखिर में विक्रम के जुनून को स्वीकार कर लेती है।

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