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1920 Most Demanded Horror Movie

1 Lượt xem· 04 Tháng mười một 2025
Rohit Choudhary
Rohit Choudhary
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Trong Phim

⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: 1920
रिलीज़: 12 सितंबर 2008
निर्देशक: विक्रम भट्ट
मुख्य कलाकार:
रजनीश दुग्गल (अर्जुन सिंह राठौड़)
अदा शर्मा (लीसा सिंह राठौड़)
इंद्रनील सेनगुप्ता (मोहन कांत)
राज ज़ुत्शी (पादरी, फादर थॉमस)
आधार: यह एक ओरिजिनल सुपरनैचुरल हॉरर कहानी है जो 1920 के दशक के भारत में सेट है।

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी एक नव-विवाहित जोड़े की है जो एक शापित हवेली में रहने आते हैं।
भाग 1: शादी और हवेली
अर्जुन (रजनीश दुग्गल), एक कट्टर हिंदू परिवार से होने के बावजूद, अपने परिवार के खिलाफ जाकर एक एंग्लो-इंडियन लड़की लीसा (अदा शर्मा) से प्यार करता है और उससे शादी कर लेता है। शादी के बाद, वह एक वास्तुकार (architect) के रूप में काम करने के लिए पालमपुर की एक बहुत बड़ी, पुरानी और वीरान हवेली में रहने आता है, जिसे उसे एक होटल में बदलना है।
भाग 2: हवेली का राज़
हवेली में आते ही लीसा को अजीब और डरावनी चीज़ें महसूस होने लगती हैं। उसे एक बंद कमरा मिलता है, जिसमें एक पुरानी तस्वीर और एक पियानो होता है। जैसे ही वह पियानो बजाती है, घर में अलौकिक घटनाएं शुरू हो जाती हैं। धीरे-धीरे, एक दुष्ट आत्मा लीसा के शरीर पर कब्ज़ा कर लेती है।
भाग 3: अतीत का खुलासा
जब लीसा की हालत बहुत बिगड़ जाती है, तो अर्जुन, जो अब तक इन बातों को नहीं मानता था, मदद के लिए एक स्थानीय पादरी (फादर थॉमस) के पास जाता है।
जाँच करने पर, हवेली का भयानक अतीत सामने आता है। कई साल पहले, उस हवेली में गायत्री रहती थी। उसे मोहन कांत (इंद्रनील सेनगुप्ता) नाम के एक आदमी से प्यार हो गया, जो एक ब्रिटिश जासूस था।
जब गायत्री के परिवार को मोहन की सच्चाई पता चली, तो उन्होंने उसे पकड़ लिया और उसी हवेली में फांसी पर लटका दिया। यह देखकर गायत्री ने भी आत्महत्या कर ली। लेकिन मोहन की दुष्ट आत्मा (जो शैतान का उपासक था) बदला लेने के लिए उसी हवेली में रह गई।
भाग 4: एक्सॉर्सिज्म (भूत भगाना)
पादरी, अर्जुन को बताता है कि यह आत्मा अब लीसा को पूरी तरह अपने वश में कर लेगी। वे लीसा को बचाने के लिए एक्सॉर्सिज्म (भूत भगाने की प्रक्रिया) शुरू करते हैं।
यह प्रक्रिया बहुत हिंसक और खतरनाक होती है। आत्मा पादरी पर हमला करती है और उसे मार डालती है।
भाग 5: क्लाइमेक्स (अंत)
सब कुछ खत्म होता देख, अर्जुन को याद आता है कि वह भगवान हनुमान का परम भक्त हुआ करता था। अपने प्यार को बचाने के लिए, वह अपना खोया हुआ विश्वास वापस पाता है और ज़ोर-ज़ोर से हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर देता है।
उसके विश्वास और हनुमान चालीसा की शक्ति से दुष्ट आत्मा कमजोर पड़ने लगती है। एक भयंकर लड़ाई के बाद, अर्जुन, लीसा के गले में एक पवित्र धागा बाँधने में कामयाब हो जाता है, जिससे वह दुष्ट आत्मा हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है। अंत में, लीसा बच जाती है और वह अर्जुन के साथ फिर से मिल जाती है।

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