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1920: London 2016 Horror Movie with Love Songs

4 Visningar· 04 November 2025
Rohit Choudhary
Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: 1920: लंदन (1920 London)
रिलीज़: 6 मई 2016
निर्देशक: टीनू सुरेश देसाई
मुख्य कलाकार:
शरमन जोशी (जय सिंह गुज्जर)
मीरा चोपड़ा (शिवांगी)
विशाल करवाल (वीर सिंह)
सुष्मिता मुखर्जी (खेसर, वीर की सौतेली माँ)
आधार: यह 1920 की फ्रैंचाइज़ी की तीसरी कड़ी है, जो एक हॉरर-लव स्टोरी है।

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी एक शादीशुदा जोड़े और उनके अतीत से जुड़े एक खतरनाक काले जादू के बारे में है।
भाग 1: लंदन में अभिशाप
कहानी 1920 के लंदन में शुरू होती है। शिवांगी (मीरा चोपड़ा) और उसके पति वीर सिंह (विशाल करवाल) एक खुशहाल शादीशुदा ज़िंदगी जी रहे हैं। वीर राजस्थान के एक शाही परिवार से है।
एक दिन, उन्हें राजस्थान से एक तोहफा (एक लॉकेट) मिलता है। उस तोहफे के आते ही वीर पर एक जानलेवा काले जादू (jadu tona) का असर शुरू हो जाता है। उसका शरीर गलने लगता है, वह अजीब हरकतें करता है और उसकी हालत बिगड़ती जाती है।
भाग 2: राजस्थान वापसी
जब लंदन के डॉक्टर हार मान लेते हैं, तो शिवांगी समझ जाती है कि यह कोई मेडिकल समस्या नहीं, बल्कि काला जादू है। उसे याद आता है कि राजस्थान में उसका एक पुराना प्रेमी, जय सिंह गुज्जर (शरमन जोशी) था, जो इन तांत्रिक विद्याओं को जानता था।
वह अपने पति को बचाने के लिए मदद माँगने राजस्थान लौटती है।
भाग 3: अतीत का राज़ (जय और शिवांगी)
फ्लैशबैक में पता चलता है कि शिवांगी और जय एक-दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन शिवांगी की शादी शाही परिवार में वीर से तय हो जाती है। जय, शिवांगी को भगाकर ले जाने की कोशिश करता है, लेकिन पकड़ा जाता है और उस पर झूठा इल्जाम लगाकर उसे 5 साल की जेल हो जाती है।
जेल में, जय एक 'गुरु' से मिलता है, जो उसे बुरी शक्तियों से लड़ने वाली तांत्रिक विद्या सिखाता है। अब जय एक शक्तिशाली तांत्रिक (exorcist) बन चुका है। वह आज भी शिवांगी से नफरत करता है, लेकिन उसके पति को बचाने के लिए लंदन जाने को तैयार हो जाता है।
भाग 4: लंदन में जाँच
जय, लंदन पहुँचकर वीर का इलाज शुरू करता है। उसे पता चलता है कि वीर पर एक बहुत शक्तिशाली "चुड़ैल" (Daayan) ने काला जादू किया है। वह यह भी पता लगाता है कि यह जादू उस लॉकेट के ज़रिए किया गया है, जो राजस्थान से आया था।
जाँच करने पर पता चलता है कि यह काला जादू वीर की सौतेली माँ, खेसर (सुष्मिता मुखर्जी) कर रही है, जो खुद एक शक्तिशाली चुड़ैल है और वीर की दौलत हड़पना चाहती है।
भाग 5: क्लाइमेक्स (आत्मा से सामना)
जय, वीर के शरीर से आत्मा को निकालने के लिए एक खतरनाक अनुष्ठान (exorcism) शुरू करता है। खेसर उन्हें रोकने के लिए आत्मा को भेजती है और खुद भी हमला करती है।
एक भयंकर लड़ाई होती है। जय को पता चलता है कि यह आत्मा इतनी शक्तिशाली है कि इसे हराया नहीं जा सकता, इसे केवल फँसाया जा सकता है, और उसके लिए एक ज़िंदा शरीर की बलि देनी होगी।
अंत (Ending):
जब जय देखता है कि आत्मा, शिवांगी को मारने वाली है, तो वह अपना अंतिम बलिदान देने का फैसला करता है।
जय उस दुष्ट आत्मा को वीर के शरीर से निकालकर अपने शरीर के अंदर खींच लेता है और खुद को फँसा लेता है। आत्मा के निकलते ही वीर ठीक हो जाता है। लेकिन आत्मा को अपने अंदर कैद करने के कारण जय की मौत हो जाती है।
फिल्म का अंत शिवांगी के साथ होता है, जो अपने पति को तो बचा लेती है, लेकिन अपने सच्चे प्रेमी जय को हमेशा के लिए खो देती है, जिसने अपने प्यार को बचाने के लिए अपनी जान दे दी।

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