मोबाइल टिकट को लेकर रेलवे की सफाई | यात्रियों को चिंता करने की जरूरत नहीं | जयपुर रूट पर फर्जी टिकट
। आइए जानते हैं विस्तार से।मोबाइल टिकट को लेकर रेलवे की सफाई | यात्रियों को चिंता करने की जरूरत नहीं | जयपुर रूट पर फर्जी टिकट मामले की वजह से ये विवाद उठा
सभी जानते हैं कि भारतीय रेलवे यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने के लिए सिस्टम में सुधार कर रहा है। टिकट बुकिंग की कमियों को दूर करने हेतु ऑनलाइन बुकिंग में आधार अनिवार्य किया गया है। मीडिया व सोशल मीडिया पर दावा है कि मोबाइल टिकट अमान्य हो जाएगा। क्या रेलवे ने ऐसा फैसला लिया इसे डिटेल में समझेंगे?
मोबाइल पर रेलवे टिकट लेकर यात्रा का अलग ही आनंद है। टीटीई मोबाइल टिकट देखकर संतुष्ट हो भी जाते हैं, वे टोका-टोकी नहीं करते। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अब मोबाइल टिकट काफी नहीं है, प्रिंटेड कॉपी जरूरी है।
कहा जा रहा है कि डिजिटल टिकट दुरुपयोग रोकने के लिए ऐसा कदम उठाया गया है जबकि रेलवे ने खुद इन रिपोर्ट्स का खंडन किया है।
रेलवे का स्पष्ट कहना है कि यूटीएस, एटीवीएम या काउंटर से लिए गए अनारक्षित टिकट की प्रिंटेड कॉपी रखने की कोई जरूरत नहीं है। सिर्फ मोबाइल स्क्रीन पर टिकट दिखाना ही पर्याप्त होगा।
जयपुर रूट पर फर्जी रेलवे टिकट का अनोखा मामला सामने आया, जिससे ये विवाद बढ़ा। कुछ छात्र ट्रेन में यात्रा कर रहे थे, उनके टिकटों में अलग-अलग नाम थे। चेकिंग स्टाफ भी धोखा खा गया, क्योंकि टिकट पूरी तरह असली लग रहे थे। क्यूआर कोड, यात्रा विवरण व किराया सब सही था। लेकिन टीसी की गहन जांच में खुलासा हुआ कि छात्रों ने AI टूल से एक अनारक्षित टिकट एडिट कर सात नाम जोड़ दिए। यानि एक टिकट पर सात यात्री! इसे देखकर अधिकारियों के होश उड़ गए।
AI के बढ़ते दुरुपयोग से रेलवे चिंतित है। उन्नत तकनीक से फर्जी टिकट बनाना, संशोधित करना और नए मोबाइल टिकट तैयार करना सरल हो गया है। यहां तक कि क्यूआर कोड डिजाइन करना भी आसान हो गया है। अब टीटीई के लिए असली-नकली टिकट पहचानना कठिन हो गया है। फिर भी रेलवे ने अनारक्षित टिकट की प्रिंटेड कॉपी रखना अनिवार्य नहीं किया है।
रेलवे ने अपने एक आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया है कि अनारक्षित टिकट की प्रिंटेड कॉपी साथ रखना जरूरी नहीं है। यूटीएस, एटीवीएम या काउंटर से लिए टिकट पहले की तरह मान्य रहेंगे। मोबाइल पर E-Ticket दिखाना ही पर्याप्त होगा। यात्रा से पहले प्रिंट निकालने की बाध्यता नहीं है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में फिजिकल कॉपी अनिवार्य बताई गई थी, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
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