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Kantara: A Legend, South Blockbuster Movie

27 Visninger • 01 November 2025
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Indlejre
Rohit Choudhary
Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: कांतारा (Kantara: A Legend)
रिलीज़: 30 सितंबर 2022
निर्देशक: ऋषभ शेट्टी
मुख्य कलाकार:
ऋषभ शेट्टी (शिवा)
किशोर (मुरलीधर, फ़ॉरेस्ट ऑफिसर)
अच्युत कुमार (देवेंद्र सुत्तूरु)
सप्तमी गौड़ा (लीला)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी कर्नाटक के तटीय (Coastal) गाँव के एक जंगल (कांतारा) और वहाँ के निवासियों की है, जिनका अपनी ज़मीन और 'दैव' (स्थानीय देवता) में अटूट विश्वास है। कहानी तीन अलग-अलग समय में बंटी हुई है।
भाग 1: 1847 (राजा की कहानी)
एक राजा, जिसके पास सब कुछ था, लेकिन मन की शांति नहीं थी। वह शांति की खोज में एक जंगल में पहुँचता है, जहाँ उसे आदिवासियों द्वारा पूजे जाने वाले एक पत्थर में 'पंजुरली दैव' (जंगली सूअर के रूप वाले देवता) का वास मिलता है। राजा को वहाँ शांति का अनुभव होता है।
राजा, गाँव वालों से वह पत्थर मांगता है। गाँव वाले इस शर्त पर राज़ी होते हैं कि राजा को इसके बदले अपनी ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा उन्हें दान देना होगा। 'दैव' अपने नर्तक (जिसे 'कोला' कहते हैं) के शरीर में आकर राजा को चेतावनी देता है कि अगर राजा या उसके वंशजों ने कभी भी यह ज़मीन वापस लेने की कोशिश की, तो उनके कुल का नाश 'गुलिगा दैव' (पंजुरली के साथी, एक उग्र देवता) के हाथों होगा। राजा यह शर्त मान लेता है।
भाग 2: 1970
राजा के एक लालची वंशज ने उस ज़मीन को वापस हड़पने के लिए कोर्ट में केस कर दिया। गाँव के 'भूत कोला' (दैव का नृत्य) अनुष्ठान के दौरान, उस समय के नर्तक (जो मुख्य किरदार 'शिवा' का पिता था) के शरीर में 'पंजुरली दैव' आता है। वह राजा के वंशज को चेतावनी देता है कि उसका अंत नज़दीक है।
वंशज, दैव का मज़ाक उड़ाता है। दैव का नर्तक गुस्से में "वराsss..." की चीख मारता हुआ जंगल में भाग जाता है और गायब हो जाता है। कुछ महीनों बाद, राजा का वह वंशज कोर्ट की सीढ़ियों पर रहस्यमयी तरीके से खून की उल्टियाँ करके मर जाता है।
भाग 3: 1990 (मुख्य कहानी)
कहानी का मुख्य नायक शिवा (ऋषभ शेट्टी) है, जो उसी गायब हुए नर्तक का बेटा है। शिवा अपने पिता के गायब होने से डरा हुआ है और 'कोला' अनुष्ठान से दूर रहता है। वह एक लापरवाह, खुशमिज़ाज युवक है जो 'कंबाला' (भैंसों की दौड़) का चैंपियन है और गाँव के ज़मींदार देवेंद्र सुत्तूरु (जो उसी राजा का वंशज है) के लिए काम करता है।
कहानी में दो मुख्य संघर्ष हैं:
इंसान बनाम प्रकृति (शिवा vs मुरली):
मुरलीधर (किशोर) एक सख़्त और ईमानदार फ़ॉरेस्ट ऑफिसर है, जिसे उस जंगल को 'रिज़र्व फ़ॉरेस्ट' (सरकारी संरक्षित वन) घोषित करने के लिए भेजा गया है। उसका मानना है कि गाँव वाले जंगल को नुकसान पहुँचा रहे हैं। शिवा और मुरली के बीच जंगल पर अधिकार को लेकर टकराव शुरू हो जाता है। शिवा मानता है कि जंगल उनका घर है, जबकि मुरली मानता है कि यह सरकारी संपत्ति है।
परंपरा बनाम लालच (शिवा vs देवेंद्र):
ज़मींदार देवेंद्र सुत्तूरु, जो बाहर से गाँव वालों का हितैषी होने का नाटक करता है, असल में उनकी ज़मीन (जो 1847 में दान दी गई थी) को धोखे से हड़पना चाहता है। वह जानता है कि वह ज़मीन कानूनी तौर पर नहीं ले सकता, इसलिए वह शिवा और फ़ॉरेस्ट ऑफिसर मुरली को आपस में लड़वाता है।
कहानी में मोड़ (Climax)
देवेंद्र अपनी साज़िश में कामयाब होने के लिए शिवा के चचेरे भाई गुरुवा (जो अब गाँव का 'दैव नर्तक' है) की हत्या कर देता है। वह इसका इल्ज़ाम फ़ॉरेस्ट ऑफिसर मुरली पर लगाने की कोशिश करता है और शिवा को मुरली को मारने के लिए भड़काता है।
जब शिवा, मुरली को मारने जाता है, तब उसे सच्चाई पता चलती है कि असली कातिल ज़मींदार देवेंद्र है। देवेंद्र के गुंडे शिवा और गाँव वालों पर हमला कर देते हैं। लड़ाई में शिवा बुरी तरह ज़ख्मी होकर लगभग मर जाता है।
अलौकिक क्लाइमेक्स (The Divine Climax)
जैसे ही शिवा अपनी आखिरी साँसें ले रहा होता है, वह अपने पिता की चीख ("वराsss...") सुनता है। उसी पल, 'गुलिगा दैव' (उग्र देवता) की आत्मा शिवा के शरीर में प्रवेश कर जाती है।
शिवा एक अलौकिक शक्ति के साथ फिर से ज़िंदा होता है। उसका चेहरा 'गुलिगा दैव' की तरह रंगा होता है। वह ज़ोर से चीखता है और एक-एक करके देवेंद्र और उसके सभी गुंडों को बहुत क्रूरता से मार डालता है।
अंत (The Ending)
सब कुछ शांत होने के बाद, शिवा 'पंजुरली दैव' (सौम्य देवता) के रूप में 'भूत कोला' का अनुष्ठान पूरा करता है। 'दैव' उसके शरीर के माध्यम से फ़ॉरेस्ट ऑफिसर मुरली और गाँव वालों के बीच सुलह कराता है और उन्हें जंगल की रक्षा करने का वचन देता है।
अनुष्ठान के अंत में, शिवा (दैव रूप में) गाँव वालों को आशीर्वाद देता है और फिर पीछे हटते हुए जंगल में जाकर उसी तरह गायब हो जाता है, जैसे उसका पिता गायब हुआ था। वह प्रकृति और 'दैव' में विलीन हो जाता है।

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Nidhi Sahu
Nidhi Sahu
16 timer siden

really good movie, i want to watch part 2 please uplaod that

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