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1920 Evil Returns 2012, Horror Movie

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Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: 1920: एविल रिटर्न्स (1920: Evil Returns)
रिलीज़: 2 नवंबर 2012
निर्देशक: भूषण पटेल
मुख्य कलाकार:
आफताब शिवदासानी (जयदेव वर्मा)
टिया बाजपेयी (स्मृति / संगीता)
शरद केलकर (अमर, बुरी आत्मा)
विद्या मालवदे (करुणा)
आधार: यह 2008 की फिल्म '1920' की एक स्टैंडअलोन सीक्वल (standalone sequel) है, जिसकी कहानी पहली फिल्म से जुड़ी हुई नहीं है।

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी एक कवि, उसकी प्रेमिका और एक बदला लेने वाली आत्मा के इर्द-गिर्द घूमती है।
भाग 1: जयदेव और स्मृति
जयदेव वर्मा (आफताब शिवदासानी) एक प्रसिद्ध कवि है, जो शिमला में अपनी बहन करुणा (विद्या मालवदे) के साथ रहता है। एक दिन, उसे झील के किनारे स्मृति (टिया बाजपेयी) नाम की एक लड़की बेहोश मिलती है। जयदेव उसे घर ले आता है।
होश में आने पर पता चलता है कि स्मृति अपनी याददाश्त खो चुकी है। जयदेव उसे 'संगीता' नाम देता है। धीरे-धीरे, जयदेव को संगीता से प्यार हो जाता है, जबकि वह यह नहीं जानता कि वह पहले से शादीशुदा है।
भाग 2: आत्मा का साया
जल्द ही, संगीता के साथ अजीब और डरावनी घटनाएं होने लगती हैं। उस पर एक बुरी आत्मा का साया पड़ जाता है। वह अजीब हरकतें करती है, उसकी आवाज़ बदल जाती है और वह हिंसक हो जाती है। करुणा, जो आत्माओं को महसूस कर सकती है, जयदेव को बताती है कि संगीता पर किसी शक्तिशाली आत्मा का कब्ज़ा है।
भाग 3: सच्चाई की खोज
जयदेव, संगीता को बचाने के लिए उसकी सच्चाई का पता लगाने की कोशिश करता है। उसे पता चलता है कि 'संगीता' का असली नाम स्मृति है और वह जयपुर के एक अमीर परिवार से है।
जयदेव उसे लेकर जयपुर जाता है, जहाँ एक पुराने किले में उसे स्मृति की डायरी मिलती है।
भाग 4: अतीत का राज़ (फ्लैशबैक)
डायरी से पता चलता है कि स्मृति, अमर (शरद केलकर) नाम के एक व्यक्ति से प्यार करती थी और दोनों की शादी होने वाली थी। अमर, जयदेव का ही दोस्त था, लेकिन जयदेव भी स्मृति से एकतरफा प्यार करता था।
जयदेव ने अपने प्यार को पाने के लिए अमर को धोखा दिया और उसे एक खाई में फिंकवा कर मार डाला।
यह सब स्मृति ने देख लिया, जिससे वह सदमे में चली गई और अपनी याददाश्त खो बैठी। वह भागते-भागते शिमला पहुँची, जहाँ वह जयदेव को झील के किनारे मिली थी।
भाग 5: क्लाइमेक्स (बदला)
अब, अमर की आत्मा स्मृति के शरीर का इस्तेमाल करके जयदेव से अपना बदला लेना चाहती है। जयदेव, स्मृति को बचाने के लिए एक संन्यासी की मदद से एक्सॉर्सिज्म (भूत भगाने की प्रक्रिया) शुरू करता है।
यह प्रक्रिया बहुत हिंसक होती है। अमर की आत्मा, जयदेव को मारने की कोशिश करती है। वह जयदेव को उसी जगह ले जाती है जहाँ उसे मारा गया था।
अंत (Ending):
जब अमर की आत्मा, जयदेव को मारने वाली होती है, तभी स्मृति (जो आत्मा से लड़ रही होती है) को होश आता है। वह देखती है कि जयदेव मरने वाला है।
यह तय करते हुए कि वह जयदेव को (जिसने उसे धोखा दिया) अमर (जिससे वह प्यार करती थी) के हाथों मरने नहीं दे सकती, वह एक बड़ा बलिदान देती है।
स्मृति पास में पड़ा एक त्रिशूल उठाती है और खुद को मार लेती है। क्योंकि आत्मा उसके शरीर से बंधी थी, इसलिए स्मृति की मौत के साथ ही अमर की आत्मा को भी मुक्ति मिल जाती है। फिल्म का अंत जयदेव के साथ होता है, जो अपने धोखे की कीमत में अपना प्यार हमेशा के लिए खो देता है।

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