Bir sonraki

यदुवंश का विनाश आरंभ |Mahabharat-6 MausalParva Ch:3 Bhag-3

1 Görünümler· 13 Aralık 2025
İçinde Eğlence

⁣यदुवंश का विनाश आरंभ |Mahabharat-6 MausalParva Ch:3 Bhag-3
मित्रो!
#mahabharat
“यदुवंश का विनाश – मौसलपर्व (भाग 3)” की कथा में आपका हार्दिक स्वागत है।


पिछले भाग में आपने देखा…

भगवान श्रीकृष्ण ने जब प्रकृति के अनिष्ट संकेत देखे, तो यदुवंशियों से कहा –

“वीरों! आप सब प्रभास-तीर्थ की यात्रा की तैयारी करो। शायद पुण्य के प्रभाव से ऋषियों के शाप का निवारण हो सके।”


परंतु मित्रो, यहाँ प्रश्न यह है – क्या शाप को टाला जा सकता है?

क्या भाग्य की रेखा मिटाई जा सकती है?


इस रहस्य को समझने के लिए, मैं आपको महाभारत के युद्ध-काल में थोड़ा पीछे ले चलता हूँ।

युद्ध समाप्त हो चुका था… दुर्योधन मारा जा चुका था… और पाण्डव विजयश्री से विभूषित थे।


किन्तु… महाराज युधिष्ठिर के मन में गहरी चिंता थी।

वे सोच रहे थे –

“जब माता गांधारी को अपने सौ पुत्रों के वध का समाचार मिलेगा… तो वे कैसी प्रतिक्रिया देंगी? कहीं उनका शाप समस्त पाण्डवों पर न टूट पड़े।”


फिर, भगवान कृष्ण के साथ पाण्डव गांधारी के सम्मुख पहुँचे।

गांधारी ने युधिष्ठिर को खोजा और पूछा –

“कहाँ है वह… जिसने मेरे पुत्रों का वध किया?”


युधिष्ठिर ने विनम्र भाव से स्वीकार किया –

“माता, यह सब मेरे ही हाथों हुआ है। यदि आप चाहें तो मुझे शाप दे दीजिए।”


गांधारी मौन रहीं…

परन्तु उनके हृदय का क्रोध शांत नहीं हुआ।

उन्होंने अपनी आँखों की पट्टी के भीतर से ही युधिष्ठिर के चरणों पर दृष्टि डाल दी।

मित्रो, तभी से युधिष्ठिर के नख सदा के लिए श्यामवर्ण हो गए।


लेकिन गांधारी का रोष अभी शेष था।

उन्होंने भगवान कृष्ण की ओर देखा और कहा –

“कृष्ण! तुम्हारे पास सामर्थ्य था, किंतु तुमने मौन रहकर मेरे वंश का विनाश होने दिया।

इसलिए सुनो… मैं तुम्हें और तुम्हारे यदुवंश को शाप देती हूँ – छत्तीसवें वर्ष में, यदुवंशी आपस में ही लड़कर नष्ट हो जाएंगे… और तुम्हारा वध एक बहेलिये के हाथों होगा।”


मित्रो, यह सुनकर भी श्रीकृष्ण शांत रहे।

उन्होंने केवल इतना कहा –

“माता, आपने जो कहा वह पहले से ही निश्चित है। यदुवंशियों का संहार कोई देवता भी नहीं कर सकता। उनका अंत केवल मेरे ही हाथों होना लिखा है। वे आपस में लड़कर ही नष्ट होंगे।”


तो देखिए मित्रो…

गांधारी का यही शाप यदुवंश के विनाश का मूल कारण बना।

ऋषियों का शाप तो केवल उस परिणाम को घटित करने का साधन था।


याद रखिए –

भगवान सर्वशक्तिमान हैं, लेकिन वे मनुष्यों के कर्म में हस्तक्षेप नहीं करते।

यदि वे चाहते तो महाभारत का युद्ध कभी होता ही नहीं…

किन्तु तब कर्म का विधान ही समाप्त हो जाता।

Daha fazla göster

 3 Yorumlar sort   Göre sırala


Viraj Xplains
Viraj Xplains 1 gün önce

kar diya bhai maine bhi

0    0 Cevap
Viraj Xplains
Viraj Xplains 1 gün önce

aap mere channel ko subscribe karke mere video me comment karo me bhi aapke channel ko subscribe kar dunga

0    0 Cevap
अपना उत्तराखंड

बहुत ही जबरदस्त, ऐसे ही बेहतरीन तरीके से काम करते रहिये हम आप के साथ हैं!
हमारी टीम Apna Tube को बहुत बडें लेवल पर ले जाने की कोशिश कर रही है !
हमने आपके चैनल को सब्सक्राइब कर लिया है, आप भी हमारे चैनल पर विजिट कीजिए अगर आपको भी लगता है कि आपको भी सब्सक्राइब करना चाहिए तो जरूर कीजिए और इस Mission🎯में हमारा साथ दीजिए।
जय हिंद🇮🇳
(Team अपना उत्तराखंड )

0    0 Cevap
राष्ट्रवादी सनातनभारत

thanks for subscription

   1    0
Daha fazla göster

Bir sonraki