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मारे गये गुलफाम उर्फ तीसरी कसम -फणीश्वर नाथ 'रेणु #कहानी tisari Kasam -Phadinsaver nath renu #K

0 Views· 22 December 2025
हिंदी manuj
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फणीश्वर नाथ 'रेणु' (4 मार्च 1921-11 अप्रैल 1977) हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। उनके पहले उपन्यास मैला आंचल लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई। इन्टरमीडिएट के बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। बाद में 1950 में उन्होने नेपाली क्रांतिकारी आन्दोलन में भी हिस्सा लिया । उनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी । पात्रों का चरित्र-निर्माण काफी तेजी से होता था ।उनका लेखन प्रेमचंद की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढाता है । उनकी साहित्यिक कृतियाँ हैं; उपन्यास: मैला आंचल, परती परिकथा, जूलूस, दीर्घतपा, कितने चौराहे, पलटू बाबू रोड; कथा-संग्रह: एक आदिम रात्रि की महक, ठुमरी, अग्निखोर, अच्छे आदमी; रिपोर्ताज: ऋणजल-धनजल, नेपाली क्रांतिकथा, वनतुलसी की गंध, श्रुत अश्रुत पूर्वे । तीसरी कसम पर इसी नाम से प्रसिद्ध फिल्म बनी ।

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