Volgende

जब क्लर्क ने रिश्वत लेने से इनकार किया, तब हुआ कुछ ऐसा कि सब रो पड़े

5 Bekeken· 01 December 2025
AARYANSHARMA444
AARYANSHARMA444
abonnees
0
In vermaak

⁣माधोपुर के पुराने नगर निगम दफ़्तर में हर फ़ाइल तभी चलती थी, जब जेबें गरम होती थीं। लेकिन इसी भ्रष्ट सिस्टम के बीच एक ऐसा क्लर्क था—कैलाशनाथ ओझा, जिसे लोग सम्मान से बाबूजी कहते थे।

30 साल की नौकरी, गरीब घर, बीमार पत्नी, और बेटे की भारी इंजीनियरिंग फ़ीस… मजबूरी ने उन्हें रिश्वत के दलदल में धकेल तो दिया था, लेकिन दिल अब भी ईमानदार था।
इसी बीच आती है—जानकी देवी, एक विधवा माँ, जिसकी छत बरसात में टपक रही थी और जिसकी जेब में थे सिर्फ़ ₹500। जब उसने कांपते हाथों से बाबूजी के सामने वह मुड़ा हुआ लिफ़ाफ़ा रखा, तो बाबूजी के भीतर कुछ टूट गया।
उस दिन बाबूजी ने एक ऐसा फ़ैसला लिया जिसने पूरे शहर को हिला दिया—

उन्होंने रिश्वत लेने से इनकार कर दिया।

अपने बेटे की फ़ीस दाँव पर लगा दी।

अपनी नौकरी को संकट में डाल दिया।

लेकिन एक बेबस माँ के आँसू को रिश्वत नहीं बनने दिया।
इस कहानी में है मानवता की जीत, भ्रष्ट सिस्टम पर चोट, और एक साधारण क्लर्क की असाधारण ईमानदारी—

जो साबित करती है कि एक ‘ना’ पूरी दुनिया बदल सकती है।
क्या एक पिता अपने बेटे का भविष्य खोकर भी अपना सम्मान बचा पाया?

क्या सिस्टम उसकी ईमानदारी को कुचल पाया?

या फिर माधोपुर में सच की गूँज ने कोई नया इतिहास रच दिया?
यह कहानी आपको अंत तक बाँधे रखेगी…

और शायद आपकी आँखें भी नम कर दे।

Laat meer zien

 3 Comments sort   Sorteer op


Lakshya Zindagi
Lakshya Zindagi 8 dagen geleden

super kahani

0    0 Antwoord
Lakshya Zindagi
Lakshya Zindagi 8 dagen geleden

mere pyare Dost aap mujhe follow kijiye aur comment kijiye, mai bhi aapko Follow kar denge, promise..🙏

0    0 Antwoord
Hemi Sharma
Hemi Sharma 8 dagen geleden

very nice

1    0 Antwoord
Laat meer zien

Volgende