आदमी गरीब हो कर भी खुश है जहां महलों में रहने वाले भी दुखी हैं और ये झोपडी में भी खुश है
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28 دسامبر 2025
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यह आदमी गरीबी में रहते हुए भी खुश है, क्योंकि उसके पास संतोष और सुकून है। साधारण जीवन, मेहनत की रोटी और अपनों का साथ उसे भीतर से समृद्ध बनाता है। दूसरी ओर, महलों में रहने वाले अनेक लोग अपार धन-संपत्ति के बावजूद भी खुश नहीं हैं। उनके पास सुविधाएँ तो हैं, पर मन की शांति नहीं। इच्छाओं की कोई सीमा न होने से वे हमेशा किसी न किसी अभाव में उलझे रहते हैं। सच्ची खुशी धन से नहीं, बल्कि सरलता, संतुलन और संतोष से मिलती है। यही कारण है कि झोपड़ी में रहने वाला यह आदमी मुस्कुराता है, जबकि भव्य महलों में रहने वाले भी खालीपन महसूस करते हैं।
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