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समुद्र मंथन हिन्दू धर्म की एक प्रमुख पौराणिक घटना है, जिसमें देवता और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने हेतु समुद्र का मंथन किया। इस प्रक्रिया में अनेक दिव्य रत्न और जीव उत्पन्न हुए। उन्हीं में से एक था उच्चैःश्रवा, एक अत्यंत तेजस्वी, सात सिरों वाला सफेद घोड़ा, जो सभी घोड़ों में श्रेष्ठ माना गया। इसकी गति बिजली से भी तेज और रूप अद्वितीय था। जैसे ही यह दिव्य अश्व प्रकट हुआ, असुरों का राजा राजा बलि उसकी भव्यता से प्रभावित हो गया और उसे अपने पास रख लिया।
हालाँकि यह घोड़ा देवताओं के योग्य था, परंतु बलि की शक्ति और प्रभाव के कारण देवता कुछ कर नहीं सके। उच्चैःश्रवा शक्ति, ऐश्वर्य और तेज का प्रतीक बन गया। कई कथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि बाद में यह घोड़ा इन्द्र का वाहन भी बना। यह कथा समुद्र मंथन से निकले चमत्कारी तत्वों और देव-असुर संघर्ष का प्रतीक है।
आज की इस वीडियो में हम जानेंगे कि प्रसिद्ध ग्रंथ 'भक्तमाल' की रचना कैसे हुई। देखिए कैसे श्री नाभादासजी ने अपने गुरु की निस्वार्थ सेवा से दिव्य शक्ति प्राप्त की और पंखे की हवा से ही डूबते जहाज को बचा लिया। यह कथा गुरु-शिष्य परंपरा और भक्ति की शक्ति को दर्शाती है।
This video presents the divine origin story of the sacred book 'Bhaktmal'. Witness how Shri Nabhadasji, through selfless service to his Guru, gained miraculous powers and saved a sinking ship with just a wave of his fan.




