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प्रेमानंद महाराज जी जब राधारानी की पूजा करते हैं, तो पूरा वातावरण भक्ति और प्रेम से भर जाता है। उनके मुख पर निरंतर मुस्कान और नेत्रों में अपार श्रद्धा झलकती है। वे राधारानी को श्रीकृष्ण की प्राणप्रिय शक्ति मानकर अत्यंत भावपूर्वक पूजन करते हैं। पुष्प, दीप, धूप और मधुर भजनों के साथ की गई उनकी आराधना साधकों के हृदय को छू लेती है। पूजा के समय वे राधा नाम का जप करते हुए प्रेम, करुणा और समर्पण का संदेश देते हैं। उनकी भक्ति हमें सिखाती है कि निष्काम प्रेम ही सच्ची साधना है।
प्रातःकाल राधारानी के दर्शन अत्यंत मनोहारी और दिव्य होते हैं। ब्रज की शीतल वायु में राधारानी कमल के समान कोमल मुखमंडल के साथ प्रकट होती हैं। उनके नेत्रों में करुणा, प्रेम और माधुर्य की अद्भुत झलक दिखाई देती है। केशों में सुगंधित पुष्प, ललाट पर तिलक और सौम्य मुस्कान भक्तों के हृदय को आनंद से भर देती है। प्रातः की आरती के समय राधारानी की छवि ऐसी प्रतीत होती है मानो स्वयं प्रेम और भक्ति साकार रूप में खड़े हों। उनके दर्शन मात्र से मन शुद्ध होता है और दिन शुभ बन जाता है।
राधा रानी के प्रातःकालीन दर्शन अत्यंत दिव्य और मनोहारी होते हैं। ब्रज की पावन वेला में, जब सूर्य की प्रथम किरणें वृंदावन को स्वर्णिम आभा से भर देती हैं, तब श्रीराधा रानी का स्वरूप भक्तों के हृदय को आनंद से भर देता है। कोमल मुखमंडल पर शांत मुस्कान, नेत्रों में करुणा और प्रेम की गहराई झलकती है। सजीव श्रृंगार, पुष्पों की सुगंध और मधुर भक्ति संगीत वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। राधा रानी के इस सुबह के दर्शन से मन निर्मल होता है और दिन भर के लिए शांति, प्रेम तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
प्रेम मंदिर के दर्शन करते हुए मन में अद्भुत शांति और भक्ति का भाव उमड़ पड़ता है। सफेद संगमरमर से बना यह भव्य मंदिर श्रीकृष्ण और राधारानी के दिव्य प्रेम का प्रतीक है। जैसे ही मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं, सुंदर नक्काशी और मनोहारी मूर्तियाँ मन को आकर्षित करती हैं। चारों ओर गूंजते भजन वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। प्रेम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक शांति का अनुभव है। यहाँ आकर मन स्वतः ही प्रभु की लीलाओं में लीन हो जाता है।
