Духовный

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1 Просмотры · 21 минут тому назад

यह जन्म मालिक की भगति करने को मिला है
#bhakti #ssdn #shrianandpur

Jagatkasaar
1 Просмотры · 31 минут тому назад

https://jagatkasaar.blogspot.c....om/2025/12/15-2025-1

15 दिसम्बर 2025 का पूरा पंचांग, एकादशी व्रत की विशेषता, चित्रा नक्षत्र, सौभाग्य योग, चन्द्रमा तुला राशि में और सूर्य का धनु में संक्रमण – सब कुछ विस्तार से।
इस वीडियो में आप जानेंगे आज के शुभ‑अशुभ योग, करियर, धन, स्वास्थ, दाम्पत्य, परिवार और आध्यात्मिक साधना पर ग्रहों का प्रभाव, साथ ही हर राशि के लिये आसान, व्यवहारिक और आध्यात्मिक उपाय।
वीडियो अन्त तक अवश्य देखें, क्योंकि अन्त में आज की एक संक्षिप्त प्रेरणा भी साझा की गयी है, जो आपके दिन की दिशा बदल सकती है।
कृपया चैनल को सब्सक्राइब करके “जगत का सार” परिवार से जुड़ें और इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोग दें।

प्रमुख शब्द (एसईओ कीवर्ड)
15 दिसम्बर 2025 का पंचांग, आज का पंचांग, 15 दिसम्बर राशिफल, दैनिक राशिफल, चित्रा नक्षत्र, एकादशी व्रत, सौभाग्य योग, चन्द्र तुला राशि, सूर्य धनु राशि में, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष, हिन्दू पंचांग 2025, जगत का सार राशिफल

टैग
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itz. king
2 Просмотры · 12 часов тому назад

Sidhu Moose wala

Manish
4 Просмотры · 3 часов тому назад

🌸कलयुग का स्वभाव🌸


DOUBLE TAP ❤️ IF YOU LIKE THIS POST

Saroj
1 Просмотры · 4 часов тому назад

नमस्कार , इस वीडियो में शिवलिंग उत्पत्ति कथा का संक्षिप्त वर्णन किया गया हैं आप इस वीडियो को लाइक करें और चैनल को सबस्क्राइब जरूर करें कमेंट भी अवश्य करें धन्यवाद 🙏

Raj Tiwari
7 Просмотры · 5 часов тому назад

⁣"
Laal Ishq
" एपिसोड "
Holi Ke Din
" (एपिसोड 227) की कहानी एक हॉरर पृष्ठभूमि में है जहाँ होली के दिन टेसू (Tesu) का भयावह सच सामने आता है.
कहानी का सार (Description in Hindi)
यह कहानी होली के त्योहार के इर्द-गिर्द घूमती है। एक गाँव में, जहाँ लोग होली की तैयारियों में लगे होते हैं, कुछ रहस्यमयी और डरावनी घटनाएँ होने लगती हैं। कहानी का मुख्य पात्र या परिवार टेसू के पीछे छिपे भयानक राज़ से अंजान होता है।
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है और होली का दिन आता है, यह खुलासा होता है कि टेसू किसी पुरानी घटना, शायद हत्या या आत्मा, से जुड़ा हुआ है। टेसू का मुखौटा या खिलौना केवल एक खेल नहीं, बल्कि किसी अतृप्त आत्मा का प्रतीक है जो अपना बदला लेना चाहती है। होली के रंग और उत्सव के बीच यह हॉरर ड्रामा तब चरम पर पहुँचता है जब टेसू का असली, डरावना सच सबके सामने आता है, जिससे गाँव में दहशत फैल जाती है। यह एपिसोड दिखाता है कि कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक माने जाने वाले होली के दिन, एक भयानक रहस्य उजागर होता है।
हैशटैग (Hashtags)
#LaalIshq #HoliKeDin #TesuKaTruth #HindiHorrorStory #HorrorShow #Supernatural #AndTV #लालइश्क़ #होली #डरावनीकहानी #अतुल्यभारत #टेसू #रहस्यमयी

Ashitalks
4 Просмотры · 11 часов тому назад

Motivation ✨

Chintan
3 Просмотры · 6 часов тому назад

अमावस्या व पौर्णिमेला दुसऱ्याच्या घरी भोजन केल्यास काय होते?

Murtaza
2 Просмотры · 13 часов тому назад

beautiful azani in masjid rasheed deoband Darul Uloom deoband

Bhakti_Yatra
10 Просмотры · 15 часов тому назад

Premanand Maharaj Ji ke anmol vachan 🙏
Prabhu kehte hain — chinta mat karo, sirf Bhagwan ka smaran karo।
Jo bhi paristhiti ho, Naam japne se mann shaant hota hai aur har samasya ka hal milta hai।
Jab hum apni chinta Prabhu ko saunp dete hain, tab sab theek ho jata hai। 🌼

🕉️ Bhagwan par bharosa rakhein
🌸 Naam japte rahein
🙏 Jeevan mein shanti aur sukh paayein

#PremanandMaharajJi #PrabhuKeVachan #BhagwanKaSmaran #ChintaMatKaro #SpiritualShorts #Bhakti


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Uzair Malik
1 Просмотры · 16 часов тому назад

😂❤️

Akhil
13 Просмотры · 17 часов тому назад

जगग्नाथ🙏 भगवान् का अद्भुत स्टोरी कहानी

SONGZONE
3 Просмотры · 17 часов тому назад

support karo dosto

jagjeet kewat
7 Просмотры · 17 часов тому назад

Most famous video of apnatube
#shorts

DeveshJaiswal
8 Просмотры · 18 часов тому назад

ॐ (ओम) केवल एक शब्द नहीं बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की दिव्य ध्वनि है। शास्त्रों और संतों के अनुसार ॐ का नियमित उच्चारण मन, शरीर और आत्मा तीनों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

पूज्य श्री पंडित प्रदीप जी मिश्रा (सीहोर वाले) बताते हैं कि ॐ का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

👉 मान्यता है कि ॐ का उच्चारण
• तनाव और चिंता को कम करता है
• मन को एकाग्र करता है
• सकारात्मक सोच को बढ़ाता है
• आत्मिक शक्ति और आत्मविश्वास को जागृत करता है
• ध्यान और साधना में विशेष लाभ देता है

यह वीडियो उन सभी भक्तों के लिए है जो शिव भक्ति, ध्यान और आध्यात्मिक शांति की खोज में हैं।
ॐ नमः शिवाय का जाप जीवन को नई दिशा देता है।

🙏 वीडियो को Like करें, Share करें और Channel को Subscribe जरूर करें।
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#OmChanting
#ॐकाउच्चारण
#PanditPradeepJiMishra
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#OmNamahShivaya
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#SpiritualHealing
#Adhyatma
#ShivBhajan

Bhaktigyan
6 Просмотры · 20 часов тому назад

welcome to my devotional channel
सफला एकादशी व्रत कथा
#एकादशी व्रत कथा
#safla ekadashi Vrat katha #ekadashi vrat katha

Aarohini
17 Просмотры · 22 часов тому назад

⁣सच्चा भक्त कौन है? राधा कृष्ण की यह कहानी आपके जीवन को बदल देगी | Radha Krishna True Bhakt Story

राष्ट्रवादी सनातनभारत
8 Просмотры · 1 день тому назад

⁣बलराम और भगवान कृष्ण का परमधाम-गमन |Mahabharat-6 MausalParva Ch:3 Bhag-4
मित्रो!
“यदुवंश का विनाश – मौसलपर्व (भाग 4)” की कथा में आपका हार्दिक स्वागत है।

मित्रो,
पिछले भाग में आपने देखा… भगवान श्रीकृष्ण ने अपने ही हाथों से यदुवंशियों का संहार कर दिया। यह वही यदुवंश था जिस पर कभी सभी को गर्व था, जो अपनी वीरता और सामर्थ्य के लिए प्रसिद्ध था। परंतु नियति के खेल को कौन रोक पाया है?

गांधारी के शाप को भगवान ने सत्य कर दिखाया। ऋषियों के शाप से उत्पन्न मूसल ने यदुवंश का नाश किया—वह भी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के ही हाथों से। सोचिए, उग्रसेन ने मौसल को चूर्ण कर समुद्र में फेंक दिया और समझ लिया कि अब संकट टल गया। लेकिन भगवान की अद्भुत रचना देखिए—वही चूर्ण रेत में मिलकर एरका नामक घास बन गया, और जब वह घास श्रीकृष्ण के हाथों में आई तो वही भयंकर मौसल का रूप धारण कर बैठी। उसी मौसल ने पूरे यदुवंश का सर्वनाश कर डाला।

अब आप सोचिए, यह सब क्यों हुआ?
मित्रो, भगवान की लीला कौन जान पाया है? पर एक बात तो निश्चित है—जो भगवान के भक्त का अपमान करता है, उसका अंत निश्चित है। गांधारी के शाप का कारण भी यही था—और भगवान ने उसे अक्षरशः सत्य किया।

अगर ध्यान से देखा जाए तो पूरा यदुवंश—सात्यकि और भगवान श्रीकृष्ण को छोड़कर—महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर खड़ा था। एक प्रकार से वे पांडवों के अपराधी बने। और भगवान को चाहिए भी तो बस एक बहाना। अतः उन्होंने उसी दोष का आधार बनाकर अपने ही हाथों से पूरे यदुवंश का विनाश कर डाला।

परंतु भक्तों पर भगवान की कृपा देखिए—भक्त उद्धव को पहले ही वहां से हटा दिया गया। शेष में भगवान श्रीकृष्ण, बलरामजी, दारुक और बभरू जीवित रहे। इसके अतिरिक्त माता-पिता, कुल की स्त्रियाँ और बालक भी बचे।

तो मित्रो, भगवान की लीला अपार है। हम आप तो बस अनुमान भर लगा सकते हैं, पर उनकी माया के रहस्य को जानना असंभव है।

चलिए, अब आरंभ करते हैं आज की कथा—
“यदुवंश का विनाश – मौसलपर्व (भाग 4)”
वैशम्पायनजी कहते हैं- राजन् ! तदनन्तर दारुक, बभ्रु और भगवान् श्रीकृष्ण तीनों ही बलरामजीके चरणचिह्न देखते हुए वहाँसे चल दिये। थोड़ी ही देर बाद उन्होंने अनन्त पराक्रमी बलरामजीको एक वृक्षके नीचे विराजमान देखा, जो एकान्तमें बैठकर ध्यान कर रहे थे। मित्रो,
बलरामजी का चरित्र बड़ा ही अद्भुत और अलग था।
सोचिए ज़रा… जब महाभारत का महायुद्ध शुरू होने वाला था, तब कौरव और पांडव—दोनों ही बलरामजी के पास पहुँचे। दोनों को विश्वास था कि वे उनकी ओर से युद्ध में खड़े होंगे।

लेकिन बलरामजी ने क्या कहा?
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कह दिया—"मैं किसी की सहायता नहीं करूँगा।"
और उसी क्षण वे युद्धभूमि छोड़कर तीर्थयात्रा पर निकल पड़े।

अब आप ही बताइए मित्रो—क्या यह निर्णय उचित नहीं था?
क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण पहले ही कह चुके थे कि वे शस्त्र नहीं उठाएँगे।
अगर बलरामजी युद्ध में होते… तो क्या वे अपना हल नीचे रख पाते?
शायद नहीं! और अगर उन्होंने हल उठा लिया होता, तो युद्ध का संतुलन ही बिगड़ जाता।

बलरामजी बड़े भाई थे… सम्मानित थे… लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि यदुवंशी वही मानते थे, जो भगवान श्रीकृष्ण कहते थे।
अब आप सोचिए—बड़े भाई होकर भी उनकी नहीं, बल्कि छोटे भाई कृष्ण की ही क्यों चलती थी?

यही तो भगवान की महिमा है मित्रो।
रामावतार में वे बड़े भाई बने—तो हुआ वही, जो भगवान ने चाहा।
कृष्णावतार में वे छोटे भाई बने—फिर भी अंततः वही हुआ, जो भगवान ने ठाना।

तो निष्कर्ष क्या निकला?
भगवान बड़े हों या छोटे—जग में चलता वही है जो भगवान चाहते हैं। कथा में वापस आते है......
उन महानुभावके पास पहुँचकर श्रीकृष्णने तत्काल दारुकको आज्ञा दी कि तुम शीघ्र ही कुरुदेशकी राजधानी हस्तिनापुरमें जाकर अर्जुनको यादवोंके इस महासंहारका सारा समाचार कह सुनाओ।

‘ब्राह्मणोंके शापसे यदुवंशियोंकी मृत्युका समाचार पाकर अर्जुन शीघ्र ही द्वारका चले आवें।’ श्रीकृष्णके इस प्रकार आज्ञा देनेपर दारुक रथपर सवार हो तत्काल कुरुदेशको चला गया। वह भी इस महान् शोकसे अचेत-सा हो रहा था। मित्रो, यदुवंश का संहार हो चुका था। द्वारका में चारों ओर शोक का वातावरण छा गया था। ऐसे समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम विश्वस्त सारथी दारुक को बुलाया और आदेश दिया कि वह तुरंत हस्तिनापुर जाकर अर्जुन को इस विनाश का समाचार दे। श्रीकृष्ण ने कहा—“ब्राह्मणों के शाप से यादवों का नाश हो चुका है, यह बात अर्जुन को बताना और उनसे कहना कि वे शीघ्र ही द्वारका आएं।” यह आदेश इसलिए दिया गया क्योंकि अब स्त्रियों और बच्चों की रक्षा के लिए अर्जुन का आना अत्यंत आवश्यक था।

दारुक भगवान का प्रिय सेवक था, परंतु वह भी इस महान विपत्ति से व्याकुल और शोकाकुल हो गया। रथ पर सवार होकर जब वह कुरु-देश की ओर बढ़ा, तो उसका हृदय भारी था, मानो चेतना ही खो बैठा हो। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि भगवान हमेशा संकट की घड़ी में अपने सच्चे और विश्वस्त भक्त को ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हैं। साथ ही यह भी कि श्रीकृष्ण स्वयं अब पृथ्वी-लीला समाप्त करने वाले थे, इसलिए अंतिम समय में उन्होंने अपने प्रिय सखा अर्जुन को ही यह उत्तरदायित्व सौंपा। कथा में वापस आते है........

#mahabharat

Jagatkasaar
9 Просмотры · 1 день тому назад

https://jagatkasaar.blogspot.c....om/2025/12/13-2025-1

13 दिसम्बर 2025 के मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष नवमी का विस्तृत पंचांग, हस्त नक्षत्र, आयुष्मान योग तथा बारहों राशियों का जीवनमूलक राशिफल।
आज चन्द्रमा कन्या राशि में, सूर्य वृश्चिक राशि में तथा अन्य ग्रहों की विशेष स्थिति के आधार पर करियर, धन, स्वास्थ और सम्बन्धों पर संकेत।
सरल उपायों, साधना और आचरण के माध्यम से दिन को शांत, सफल और सजग बनाने की प्रेरणा, केवल जगत का सार पर।

Kedar Seeker सनातन संस्कार
20 Просмотры · 1 день тому назад

⁣चाक्षुषोपनिषद |

विवरण एवं हिंदी भावार्थ

कृष्ण यजुर्वेदीय चाक्षुषोपनिषद में चक्षु रोगों को दूर करने की सामर्थ्य का वर्णन किया गया है। इन रोगों को दूर करने के लिए सूर्य देव से प्रार्थना की गयी है। प्रार्थना में कहा गया है कि सूर्यदेव अज्ञान-रूपी अंधकार के बन्धनों से मुक्त करके प्राणी जगत को दिव्य तेज प्रदान करें। इसमें तीन मंत्र हैं। इस चक्षु विद्या के मंत्र-दृष्टा ऋषि अहिर्बुध्न्य हैं। इसे गायत्री छंद में लिखा गया है। नेत्रों की शुद्ध और निर्मल ज्योति के लिए यह उपासना कारगर है।
ऋषि उपासना करते हैं-‘हे चक्षु के देवता सूर्यदेव! आप हमारी आंखों में तेजोमय रूप से प्रतिष्ठित हो जायें। आप हमारे नेत्र रोगों को शीघ्र शांत करें। हमें अपने दिव्य स्वर्णमय प्रकाश का दर्शन कराया। हे तेजस्वरूप भगवान सूर्यदेव! हम आपको नमन करते हैं। आप हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलें। आप हमें अज्ञान-रूपी अंधकार से ज्ञान-रूपी प्रकाश की ओर गमन कराएं। मृत्यु से अमृतत्व की ओर ले चलें। आपके तेज़ की तुलना करने वाला कोई अन्य नहीं है। आप सच्चिदानन्द स्वरूप है। हम आपको बार-बार नमन करते हैं। विश्वरूप आपके सदृश भगवान विष्णु को नमन करते हैं।’
चाक्षुषोपनिषद स्तोत्र से बढ़ाएं अपनी नेत्र ज्योति एवं दूर करें नेत्र विकार

अगर आपकी नेत्र ज्योति कमजोर है और बचपन में ही आपको चश्मा पहनना पड़ गया है तो इस चाक्षुषोपनिषद स्तोत्र के नियमित जप से आप भी अपनी नेत्र ज्योति (Eye Sight) ठीक कर सकते हैं। यह चाक्षुषोपनिषद स्तोत्र इतना प्रभाव शाली है की यदि आपको आँखों से सम्बंधित कोई बीमारी है तो अगर एक ताम्बे के लोटे में जल भरकर, पूजा स्थान में रखकर उसके सामने नियमित इस स्तोत्र के २१ बार पाठ करने के उपरान्त उस जल से दिन में ३-४ बार आँखों को छींटे मारने पर कुछ ही समय में नेत्र रोग से मुक्ति मिल जाती है। बस आवश्यकता है , श्रद्धा, विश्वास एवं अनुष्ठान आरम्भ करने की। आईये इस स्तोत्र को जानते हैं।

किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष रविवार को सूर्योदय के आसपास आरम्भ करके रोज इस स्तोत्र के ५ पाठ करें। सर्वप्रथम भगवान सूर्य नारायण का ध्यान करके दाहिने हाथ में जल, अक्षत, लाल पुष्प लेकर विनियोग मंत्र पढ़े।

हिंदी भावार्थ :
विनियोग: 'ॐ इस चाक्षुषी विद्या क ऋषि अहिर्बुध्न्य हैं, गायत्री छन्द है, सूर्यनारायण देवता हैं तथा नेत्ररोग शमन हेतु इसका जाप होता है।
हे परमेश्वर, हे चक्षु के अभिमानी सूर्यदेव। आप मेरे चक्षुओं में चक्षु के तेजरूप से स्थिर हो जाएँ। मेरी रक्षा करें। रक्षा करें। मेरी आँखों का रोग समाप्त करें। समाप्त करें। मुझे आप अपना सुवर्णमयी तेज दिखलायें। दिखलायें। जिससे में अँधा न होऊं। कृपया वैसे ही उपाय करें, उपाय करें। आप मेरा कल्याण करें, कल्याण करें। मेरे जितने भी पीछे जन्मों के पाप हैं जिनकी वजह से मुझे नेत्र रोग हुआ है उन पापों को जड़ से उखाड़ दे, दें। हे सच्चिदानन्दस्वरूप नेत्रों को तेज प्रदान करने वाले दिव्यस्वरूपी भगवान भास्कर आपको नमस्कार है। ॐ सूर्य भगवान को नमस्कार है। ॐ नेत्रों के प्रकाश भगवान सूर्यदेव आपको नमस्कार है। ॐ आकाशविहारी आपको नमस्कार है। परमश्रेष्ठ स्वरुप आपको नमस्कार है। ॐ रजोगुण रुपी भगवान सूर्यदेव आपको नमस्कार है। तमोगुण के आश्रयभूत भगवान सूर्यदेव आपको नमस्कार है। हे भगवान आप मुझे असत से सत की और जाईये। अन्धकार से प्रकाश की और ले जाइये। मृत्यु से अमृत की और ले चलिये। हे सूर्यदेव आप उष्णस्वरूप हैं, शुचिरूप हैं। हंसस्वरूप भगवान सूर्य, शुचि तथा अप्रतिरूप रूप हैं। उनके तेजोमयी स्वरुप की समानता करने वाला कोई भी नहीं है। जो ब्राह्मण इस चक्षुष्मतिविद्या का नित्य पाठ करता है उसे कभी नेत्र सम्बन्धी रोग नहीं होता है। उसके कुल में कोई अँधा नहीं होता। आठ ब्राह्मणो को इस विद्या को देने (सिखाने) पर इस विद्या की सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
आप से प्रार्थना है की, कृपया इस व्हिडीओ को लाईक एवं शेअर करे. मेरे चॅनेल को फॉलो करे |
सूर्यनारायण भगवान की जय !!! जय श्रीराम !!!
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