شارٹس بنانا
समुद्र मंथन की पौराणिक कथा में देवताओं और असुरों ने मिलकर अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया। मंथन से कई अद्भुत रत्न निकले, जिनमें सबसे मूल्यवान था — अमृत। जब अमृत कलश निकला, तो असुरों ने उसे छीनने की कोशिश की, ताकि वे अमर हो सकें और देवताओं पर विजय प्राप्त कर सकें। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को मोहित किया और अमृत देवताओं को पिला दिया। एक असुर, राहु, ने धोखे से अमृत पी लिया, लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने उसकी पहचान कर ली। विष्णु ने तुरंत उसका सिर काट दिया। राहु का सिर अमर हो गया और यही कारण है कि राहु और केतु ग्रहण का कारण माने जाते हैं। यह कथा अमरता की लालसा, छल-कपट और ईश्वरीय न्याय का प्रतीक मानी जाती है।
শ্রীকৃষ্ণ বাণী মানুষের জীবনের পথপ্রদর্শক। তাঁর বচন শিক্ষা দেয় সাহস, ধৈর্য, সততা ও ভক্তি। তিনি বলেন—অতীত নিয়ে দুঃখ কোরো না, ভবিষ্যৎ নিয়ে ভয় কোরো না; বর্তমানেই করণীয় করো। কর্মই তোমার অধিকার, ফল নয়। যে নিজেকে জেতে, সে-ই সত্যিকারের বিজয়ী। রাগ, লোভ ও অহংকার মানুষকে অন্ধ করে, আর নিঃস্বার্থতা মানুষকে ঈশ্বরের কাছে নিয়ে যায়। শ্রীকৃষ্ণের বাণী মনে করিয়ে দেয়—অন্যের হৃদয় না কষ্ট দিয়ে সৎপথে চলাই জীবনের প্রকৃত ধর্ম।



