सिविल इस भारत की पूर्ति के लिए तुमसे प्रेम करता है कोई तुमसे सच्चा प्रेम नहीं करता सच्चा केवल प्रेम तो भगवान करते हैं यहां सब निस्वार्थ प्रेम कोई नहीं करता सब स्वार्थ का प्रेम करते हैं विश्वास प्रेम केवल परमपिता परमात्मा श्री कृष्ण हरि राधावल्लभ गोविंद जगदीश हरे हमारे प्रभु करते हैं उनका कोई नहीं यह संसारमाया का है जो तो तुम उनकी कामनाओं की पूजा तुम्हारे प्रिय है