“महाभारत का वह क्षण… जब युद्ध की आहट सुनकर भीष्म पितामह और दुर्योधन आमने-सामने खड़े होते हैं। एक तरफ अनुभव, धर्म और कर्तव्य से बंधे पितामह… दूसरी तरफ हठ, महत्वाकांक्षा और जीत की जिद से भरा दुर्योधन।
उनके बीच होने वाला यह संवाद सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि महाभारत के महासंग्राम की शुरुआत है। इस वार्ता में झलकती है भावनाओं की गहराई, निष्ठा की शक्ति और अधर्म की अटूट हठ।
इस शक्तिशाली दृश्य को महसूस करें और जानें कैसे महाभारत का युद्ध धीरे-धीरे अपने निर्णायक रूप में आगे बढ़ा।”