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फ़िल्म का विवरण नाम: बाहुबली: द बिगिनिंग (Baahubali: The Beginning) रिलीज़: 10 जुलाई 2015 निर्देशक: एस. एस. राजामौली (S. S. Rajamouli) मुख्य कलाकार: प्रभास (शिवुडु / महेंद्र बाहुबली और अमरेंद्र बाहुबली) राणा दग्गुबाती (भल्लालदेव) तमन्ना भाटिया (अवंतिका) अनुष्का शेट्टी (देवसेना) सत्यराज (कटप्पा) राम्या कृष्णन (शिवगामी) फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert) भाग 1: शिवुडु का बचपन कहानी की शुरुआत महिष्मती साम्राज्य की राजमाता शिवगामी (राम्या कृष्णन) से होती है, जो ज़ख्मी हालत में एक बच्चे को गोद में लिए भाग रही हैं। सैनिक उनका पीछा कर रहे होते हैं। वह सैनिकों को मार देती हैं, लेकिन नदी पार करते समय डूबने लगती हैं। अपनी जान देने से पहले, वह बच्चे को हाथ में उठाकर भगवान से प्रार्थना करती हैं कि यह बच्चा (महेंद्र बाहुबली) जीना चाहिए। नदी के पास रहने वाले एक आदिवासी कबीले के लोग उस बच्चे को बचा लेते हैं। कबीले की मुखिया संगा, उसे अपने बेटे की तरह पालती है और उसका नाम शिवुडु (प्रभास) रखती है। शिवुडु बचपन से ही उस विशाल झरने (Waterall) को देखकर आकर्षित होता है, जहाँ से वह आया था। वह बार-बार उस झरने पर चढ़ने की कोशिश करता है, लेकिन नाकाम रहता है। भाग 2: अवंतिका से मुलाकात बड़ा होकर शिवुडु एक बेहद ताकतवर इंसान बनता है। एक दिन, झरने के ऊपर से एक लकड़ी का मुखौटा (Mask) गिरता है। शिवुडु उस मुखौटे की काल्पनिक सुंदरी से मिलने के लिए प्रेरित होता है और अपनी पूरी ताकत लगाकर आखिरकार उस विशाल झरने को चढ़ने में कामयाब हो जाता है। ऊपर पहुँचकर वह अवंतिका (तमन्ना भाटिया) से मिलता है। अवंतिका एक विद्रोही समूह की योद्धा है। इस समूह का एक ही मकसद है—महिष्मती के क्रूर राजा भल्लालदेव (राणा दग्गुबाती) की कैद में 25 सालों से बंद अपनी रानी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) को आज़ाद कराना। शिवुडु, अवंतिका से प्यार करने लगता है और देवसेना को छुड़ाने का मिशन वह अपने हाथ में ले लेता है। भाग 3: महिष्मती में प्रवेश शिवुडु भेष बदलकर महिष्मती पहुँचता है। उसी समय भल्लालदेव अपनी 100 फुट ऊँची सोने की मूर्ति का अनावरण कर रहा होता है। शिवुडु छिपकर काम करता है और रात के अँधेरे में देवसेना को कैद से आज़ाद करा लेता है। जब वे भाग रहे होते हैं, तो राजा का वफादार गुलाम और सेनापति कटप्पा (सत्यराज) उन्हें रोक लेता है। शिवुडु और कटप्पा के बीच लड़ाई होती है। लड़ाई के दौरान, शिवुडु का नकाब उतर जाता है। शिवुडु का चेहरा देखते ही कटप्पा चौंक जाता है और उसके पैरों में गिरकर "बाहुबली!" चिल्लाने लगता है। भाग 4: अतीत की कहानी (फ्लैशबैक) शिवुडु (जिसका असली नाम महेंद्र बाहुबली है) को कुछ समझ नहीं आता। तब कटप्पा उसे उसके असली पिता अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास का डबल रोल) की कहानी सुनाना शुरू करता है। कटप्पा बताता है: महिष्मती के राजा की मृत्यु के बाद, राजमाता शिवगामी ने अपने बेटे भल्लालदेव और अपने देवर के बेटे अमरेंद्र बाहुबली (जो शिवुडु का पिता था) को पाला। दोनों भाइयों को राजसिंहासन के लिए बराबर शिक्षा दी गई। अमरेंद्र बाहुबली दयालु और प्रजा का प्यारा था, जबकि भल्लालदेव क्रूर और ताकत का भूखा था। शिवगामी ने फैसला किया कि जो 'कालकेय' नाम के क्रूर कबीले को युद्ध में हराएगा, वही राजा बनेगा। युद्ध में, भल्लालदेव ने क्रूरता से कालकेय के राजा को मार दिया। लेकिन अमरेंद्र बाहुबली ने न सिर्फ युद्ध जीता, बल्कि अपनी रणनीति से हज़ारों बेगुनाह लोगों की जान भी बचाई। अमरेंद्र की इसी इंसानियत और वीरता को देखकर, शिवगामी ने उसे महिष्मती का नया राजा घोषित कर दिया। भाग 5: सबसे बड़ा क्लिफहैंगर कटप्पा की कहानी सुनकर शिवुडु (महेंद्र बाहुबली) पूछता है कि अगर मेरे पिता अमरेंद्र बाहुबली इतने महान राजा थे, तो वे आज कहाँ हैं? कटप्पा रोते हुए और काँपते हुए जवाब देता है: "उन्हें... मैंने ही मारा था।" (यहाँ फ़िल्म का पहला भाग खत्म हो जाता है और इस सवाल का जवाब 'बाहुबली 2: द कन्क्लूजन' में दिया गया है।)
फ़िल्म का विवरण नाम: कुली (Coolie) रिलीज़: 14 अगस्त 2025 (सिनेमाघर) | 11 सितंबर 2025 OTT शैली (Genre): एक्शन, क्राइम ड्रामा निर्देशक: लोकेश कनगराज (Lokesh Kanagaraj) मुख्य कलाकार: रजनीकांत (देवा) नागार्जुन (साइमन) आमिर खान (दाहा - विशेष उपस्थिति) सौबिन शाहिर (दयालन) सत्यराज (राजशेखर) श्रुति हासन (प्रीति) फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert) यह कहानी देवा (रजनीकांत) की है, जो एक बंदरगाह (port) पर 'कुली' यूनियन का पूर्व लीडर है। वह अब अपराध की दुनिया छोड़कर एक शांत जीवन जी रहा है और एक बड़ी हवेली का मालिक है। कहानी की शुरुआत देवा का सबसे अच्छा दोस्त राजशेखर (सत्यराज) है। एक दिन, राजशेखर की अचानक "दिल का दौरा" पड़ने से मौत हो जाती है। देवा को यह बात अजीब लगती है और उसे शक होता है कि यह एक सामान्य मौत नहीं है। जांच और खुलासा देवा अपने दोस्त की मौत की जांच खुद शुरू करता है। उसे पता चलता है कि राजशेखर की हत्या की गई थी। इस जांच के दौरान, देवा का सामना एक बहुत बड़े और क्रूर अपराध सिंडिकेट से होता है, जो सोने (gold) और लग्ज़री घड़ियों की तस्करी (smuggling) का कारोबार करता है। मुख्य खलनायक इस सिंडिकेट को दो लोग चलाते हैं: साइमन (नागार्जुन): सिंडिकेट का मुख्य बॉस, जो बहुत शातिर और खतरनाक है। दयालन (सौबिन शाहिर): साइमन का दाहिना हाथ, जो बहुत क्रूर है और बंदरगाह पर सारा काम संभालता है। संघर्ष (Conflict) देवा को पता चलता है कि उसके दोस्त राजशेखर ने इस सिंडिकेट के खिलाफ कुछ सबूत जुटा लिए थे, जिस वजह से उसे मार दिया गया। देवा, जो अपना पुराना हिंसक जीवन छोड़ चुका था, अब बदला लेने के लिए मजबूर हो जाता है। वह अपने पुराने 'कुली' अवतार में वापस आता है और एक-एक करके साइमन के आदमियों को खत्म करना शुरू कर देता है। आमिर खान का किरदार कहानी में दाहा (आमिर खान) की एंट्री होती है, जो एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर है और साइमन के साथ व्यापार करने आता है। देवा का टकराव दाहा से भी होता है। क्लाइमेक्स (अंत) देवा बंदरगाह पर साइमन, दयालन और दाहा के पूरे गिरोह से भिड़ता है। वह यह भी खुलासा करता है कि वह सिर्फ एक कुली नहीं था, बल्कि एक अंडरकवर एजेंट था जिसने अपराध की दुनिया में घुसपैठ की थी। अंत में, देवा अपने दोस्त की मौत का बदला लेता है और पूरे तस्करी रैकेट को खत्म कर देता है। यह फ़िल्म लोकेश कनगराज के सिनेमैटिक यूनिवर्स (LCU) का हिस्सा नहीं है, यह एक अलग कहानी है।
फ़िल्म का विवरण नाम: कल्कि 2898 AD (Kalki 2898 AD) रिलीज़: 27 जून 2024 शैली (Genre): एपिक साइंस-फिक्शन, माइथोलॉजी, डायस्टोपियन निर्देशक: नाग अश्विन मुख्य कलाकार: प्रभास (भैरव) अमिताभ बच्चन (अश्वत्थामा) कमल हासन (सुप्रीम यास्किन) दीपिका पादुकोण (SUM-80 / पद्मा) दिशा पाटनी (रॉक्सी)  यह कहानी भविष्य में 2898 AD की है। दुनिया तबाह हो चुकी है और सुप्रीम यास्किन (कमल हासन) नाम का एक क्रूर शासक 'काशी' शहर पर राज करता है। 6000 साल पहले, महाभारत के अश्वत्थामा (अमिताभ बच्चन) को श्राप मिला था कि वे 'कल्कि' अवतार के जन्म तक भटकते रहेंगे और उनकी रक्षा करेंगे। 'द कॉम्प्लेक्स' में, पद्मा (दीपिका पादुकोण) नाम की एक महिला के गर्भ में 'कल्कि' पल रहा है। यास्किन उस बच्चे को मारना चाहता है। भैरव (प्रभास) एक इनामी शिकारी है, जो पैसों के लिए पद्मा को पकड़ना चाहता है। कहानी का मुख्य संघर्ष यह है कि अश्वत्थामा, पद्मा को भैरव और यास्किन की सेना से बचाने की कोशिश करते हैं। अंत में, भैरव का दिल बदल जाता है (उसे पता चलता है कि वह कर्ण का अंश है) और वह भी अश्वत्थामा के साथ मिल जाता है। फ़िल्म के अंत में, दोनों मिलकर पद्मा को 'शम्बाला' (विद्रोहियों का शहर) ले जाते हैं, जहाँ 'कल्कि' का जन्म होता है। अश्वत्थामा का 6000 साल का इंतज़ार खत्म होता है और अब असली लड़ाई शुरू होने वाली है।
फ़िल्म का विवरण नाम: छोरी 2 (Chhorii 2) रिलीज़: 2023 शैली (Genre): हॉरर, थ्रिलर . मुख्य कलाकार: नुसरत भरुचा (साक्षी), सोहा अली खान (मेहर) निर्देशक: विशाल फुरिया फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert) यह कहानी पहली फ़िल्म के ठीक अंत से शुरू होती है। नई शुरुआत साक्षी (नुसरत भरुचा) गन्ने के खेतों वाले उस भयानक गाँव से अपनी नवजात बेटी (वानी) को लेकर भाग निकलती है। वह बदहवास हालत में सड़क पर पहुँचती है, जहाँ मेहर (सोहा अली खान) और उसका पति उसे देखते हैं। वे साक्षी और उसकी बच्ची को बचा लेते हैं। मेहर शहर में "आश्रय" नाम का एक शेल्टर होम (आश्रम) चलाती है, जो बेसहारा और पीड़ित महिलाओं और बच्चों को पनाह देता है। साक्षी को अस्पताल ले जाने के बाद, मेहर उसे अपने शेल्टर होम में रहने की जगह देती है, ताकि वह और उसकी बेटी सुरक्षित रह सकें। शेल्टर होम का रहस्य साक्षी को लगता है कि वह और वानी अब सुरक्षित हैं। वह गाँव में हुई भयानक घटनाओं के सदमे (Trauma/PTSD) से उबरने की कोशिश कर रही है। लेकिन, जल्द ही उसे "आश्रय" में भी अजीब और डरावनी चीज़ें महसूस होने लगती हैं। उसे डरावने साये दिखने लगते हैं और बच्ची के पास अजीब घटनाएँ होती हैं। साक्षी को डर लगता है कि गाँव वाली आत्मा (छोटी माई) उसकी बेटी के लिए उसे यहाँ भी ढूँढते हुए आ गई है। डर का अगला पड़ाव जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, साक्षी को एहसास होता है कि इस शेल्टर होम में भी कुछ ठीक नहीं है। नया भूत: उसे पता चलता है कि यह आत्मा 'छोटी माई' नहीं, बल्कि कोई और है, जो इसी शेल्टर होम से जुड़ी है। मेहर का राज: मेहर का किरदार भी रहस्यमयी है। वह बहुत ज़्यादा प्रोटेक्टिव है और शेल्टर होम के कुछ हिस्सों में किसी को जाने नहीं देती। पुराना अभिशाप: साक्षी को पता चलता है कि यह नई आत्मा एक बच्चे की है, जिसकी मौत शेल्टर होम में ही रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी, और वह अब वानी को अपना दोस्त बनाना चाहती है या उसे नुकसान पहुँचाना चाहती है। क्लाइमेक्स (अंत) क्लाइमेक्स में यह खुलासा होता है कि शेल्टर होम में रहने वाली एक दूसरी महिला, जो अपनी बेटी को खो चुकी थी, इस सब के पीछे थी। वह किसी तरह की तांत्रिक पूजा कर रही थी ताकि वह अपनी मरी हुई बेटी की आत्मा को साक्षी की बेटी वानी के शरीर में डाल सके। डरावनी आत्मा असल में उसी मरी हुई बच्ची की थी, जिसे उसकी अपनी माँ ने ही पूजा के लिए बलि चढ़ा दिया था। साक्षी को अब न केवल उस तांत्रिक महिला से, बल्कि उस गुस्सैल बच्ची की आत्मा से भी अपनी बेटी को बचाना है। वह एक बार फिर एक माँ की तरह लड़ती है। वह उस तांत्रिक अनुष्ठान को रोकती है और बुरी आत्मा को शांत करती है। अंत फ़िल्म के अंत में, साक्षी उस शेल्टर होम की बुराई को खत्म कर देती है। मेहर को अपनी गलती का एहसास होता है कि उसने उन महिलाओं पर पूरा ध्यान नहीं दिया। साक्षी यह समझ जाती है कि वह सदमे में नहीं है, बल्कि बुराई सच में मौजूद है। वह अपनी बेटी वानी को लेकर उस शेल्टर होम से निकल जाती है, एक नई और सुरक्षित जगह की तलाश में। यह फ़िल्म एक माँ के अपनी बेटी को बचाने के संघर्ष को जारी रखती है, जो अब सिर्फ सामाजिक कुरीतियों से नहीं, बल्कि अलौकिक शक्तियों से भी लड़ रही है।
फ़िल्म का विवरण नाम: छोरी (Chhorii) रिलीज़: 2021 शैली (Genre): हॉरर, थ्रिलर, सोशल ड्रामा मुख्य कलाकार: नुसरत भरुचा (साक्षी), मीता वशिष्ठ (भन्नो देवी) निर्देशक: विशाल फुरिया फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert) यह कहानी साक्षी (नुसरत भरुचा) और उसके पति हेमंत की है। साक्षी आठ महीने की गर्भवती है। हेमंत ने कुछ लोगों से बहुत ज़्यादा पैसा उधार लिया होता है और वे लोग उन्हें धमका रहे होते हैं। अपनी और अपने अजन्मे बच्चे की जान बचाने के लिए, वे दोनों शहर छोड़कर भाग जाते हैं। गाँव में आगमन हेमंत का ड्राइवर, काजला, उन्हें अपनी जान-पहचान वालों के पास एक दूर-दराज के गाँव में ले जाता है। यह गाँव गन्ने के बड़े-बड़े खेतों के बीच में है। वे एक बूढ़े जोड़े, भन्नो देवी और उनके पति, के घर में पनाह लेते हैं। भन्नो देवी एक दाई (midwife) हैं और वह साक्षी की देखभाल करने लगती हैं। अजीब घटनाएँ जल्द ही, साक्षी को उस घर और गाँव में कुछ अजीब महसूस होने लगता है। उसे गन्ने के खेतों में तीन छोटे बच्चे दिखाई देते हैं, जो उसे डराते हैं। उसे एक पुरानी, जली हुई सी साड़ी पहने एक औरत (जिसे 'छोटी माई' कहा जाता है) का भूत दिखाई देने लगता है। भन्नो देवी उसे बताती हैं कि यह सब उसका वहम है, जो गर्भावस्था में हो जाता है। वह साक्षी को घर के चारों ओर एक 'लक्ष्मण रेखा' खींचकर देती है और उसे उस घेरे से बाहर न निकलने की चेतावनी देती है। राज का खुलासा साक्षी को धीरे-धीरे उस घर के रहस्य पता चलने लगते हैं: तीन बच्चे: वे तीन बच्चे असल में भन्नो देवी के तीन बेटे थे, जो पैदा होते ही मर गए थे। छोटी माई (भूत): भन्नो देवी की एक बहू थी (काजला की पत्नी), जो गर्भवती थी। भन्नो देवी के पति और बेटों ने उस बहू के पेट में बेटी होने के शक में उसे मार दिया था। वही औरत अब 'छोटी माई' का भूत बनकर भटक रही है। खतरनाक परंपरा: साक्षी को पता चलता है कि यह पूरा गाँव एक भयानक परंपरा का शिकार है। वे लोग बेटियों को जन्म लेते ही मार देते हैं (कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या)। असली मक़सद कहानी का सबसे बड़ा मोड़ तब आता है जब साक्षी को पता चलता है कि हेमंत और काजला उसे यहाँ जानबूझकर लाए थे। हेमंत ने गाँव वालों के साथ एक सौदा किया था। गाँव का मानना था कि अगर वे एक गर्भवती औरत (जिसके पेट में बेटा हो) की बलि चढ़ाएंगे, तो उनके गाँव का 'श्राप' (छोटी माई का भूत) खत्म हो जाएगा और उनके खेतों में फिर से फसल उगने लगेगी। हेमंत को इसके बदले पैसे मिलने वाले थे। भन्नो देवी, जो शुरू में साक्षी की देखभाल करती दिख रही थी, असल में इस पूरी साज़िश की मुखिया थी। वह साक्षी के बच्चे के पैदा होने का इंतज़ार कर रही थी ताकि वे उसकी बलि दे सकें। क्लाइमेक्स (अंत) साक्षी को प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) शुरू हो जाती है। भन्नो देवी उसकी डिलीवरी कराती है। साक्षी एक बेटी को जन्म देती है। जैसे ही भन्नो देवी उस बच्ची को मारने के लिए उठाती है, 'छोटी माई' का भूत वहाँ आ जाता है। भन्नो देवी को अपनी गलती का एहसास होता है कि उसने भी एक औरत होकर दूसरी औरतों के साथ इतना गलत किया। भूत भन्नो देवी और उसके पति को मार देता है। अंत सुबह होती है। साक्षी अपनी नवजात बेटी को गोद में लेकर उस घर से बाहर निकलती है। वह गन्ने के खेतों के बीच से अकेली चली जाती है। खेतों में उसे वे तीन बच्चे फिर से दिखते हैं, लेकिन इस बार वे मुस्कुरा रहे होते हैं, मानो वे भी आज़ाद हो गए हों। यह फ़िल्म हॉरर के साथ-साथ 'कन्या भ्रूण हत्या' जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दे को बहुत पुरज़ोर तरीके से उठाती है।