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यह कहानी राजा वीरवर की
है, जो एक अप्सरा
की सुंदरता में मोहित होकर
अपनी बुद्धि और धर्मबुद्धि खो
बैठते हैं। वासना के
वश में आकर वे
अपना राज्य, प्रजा और आत्मसम्मान सब
कुछ गँवा देते हैं।
जब भगवान श्रीराम उन्हें काम के विनाशकारी
स्वरूप का ज्ञान कराते
हैं, तब वे पश्चाताप
कर धर्म के मार्ग
पर लौट आते हैं।
अंततः संयम और आत्मनियंत्रण
से वे पुनः एक
आदर्श राजा बन जाते
हैं।
